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नील पदम् की कहानियाँ

दीपक कुमार श्रीवास्तव "नील पदम्"

7 अध्याय
2 लोगों ने लाइब्रेरी में जोड़ा
26 पाठक
27 अक्टूबर 2023 को पूर्ण की गई
निःशुल्क

अभागा, निशानी, हाथ का बुना स्वेटर, लूट का माल एवं नील पदम् लिखित अन्य कहानियाँ  

neel padm ki kahaniyan

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मानवीय रिश्तों और दोस्ती पर आधारित ये कहानियाँ रोचक लगीं ............... खासतौर पर हाथ का बुना स्वेटर और अभागा तो बहुत ही बढ़िया लगीं ............... बधाई 👌💐💐

पुस्तक के भाग

1

अभागा

20 अगस्त 2023
7
2
4

माँजी ने आवाज़ दी, “तुम्हारा फोन है बबलू”।  “मेरा फोन!, तुम्हारे फोन पर कैसे”, अमोल ने माँ से कहा। फिर याद आया कि पहले ये नंबर उसके मोबाइल में था, बाद में माँ जी के फोन में बी०एस०एन०एल० का ये सिम

2

हाथ का बुना स्वेटर

10 सितम्बर 2023
8
3
4

आकाश एक बच्चे के नीले ब्लेजर को बड़ी ही हसरत से देख रहा था।  “पापा मुझे भी ऐसा ही एक ब्लेजर दिला दो”, आकाश ने पराग के हाथ को धीरे से खींचकर कहा। “अरे क्या करेगा उसे लेकर”, पराग ने कहा, “देख न कैसे ठण

3

एक हैसियत

21 सितम्बर 2023
1
2
1

एक हैसियत सागर किसी तरह अपने कपड़े झाड़कर खड़ा हुआ। उसने महसूस किया कि उसके घुटने मोड़ने या सीधे करने पर दर्द का चनका उठता था। पास में ही एक चक्की के टूटे हुए दो पाट एक के ऊपर एक रखकर बैठने लायक ऊंचाई

4

लूट का माल

6 अक्टूबर 2023
3
4
4

लूट का माल (1) सर्द मौसम था परन्तु एक ख़ुशगवार शाम थी वो। लेकिन शहर में गर्म अफवाहों ने फिज़ा में इतना तनाव भर दिया था कि किसी का ध्यान मौसम की ओर नहीं था। साइकिल के पैडल पर जोर-जोर से पैर मारकर वो

5

निशानी

24 सितम्बर 2023
2
3
6

“सुना है तुम छुआछूत की समस्या पर कटाक्ष करता हुआ कोई नाटक करने वाले हो इस बार अपने स्कूल में”, संतोष भईया ने मुझसे शाम को खेलते समय पूछा, “और उस नाटक की स्क्रिप्ट भी तुमने ही लिखी है, बहुत बढ़िया”।

6

मनी-प्लांट

20 अक्टूबर 2023
3
2
2

मनी-प्लांट (1) क्या कर रही हो दादी? इस पौधे को क्यों तोड़ रही हो? क्या दिक्कत हो रही है इनसे तुमको? बोलती क्यों नहीं दादी? अपने पोते के एक के बाद एक प्रश्नों को अनसुना कर मिथलेश कुमारी अपने काम में

7

समर की अमर दोस्ती

24 सितम्बर 2023
2
3
2

डोरबेल की कर्कश आवाज से उन दोनों की नींद खुल गई। हड़बड़ाते हुए मिश्रा जी और उनकी पत्नी उठे। मिश्रा जी ने तुरंत लाइट जलाकर घड़ी पर नज़र डाली। “अरे! बाप रे बाप, पाँच बज गए, तुमने उठाया क्यों नहीं”, मिश्रा

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