पृथक समय में वक़्त की, होय पृथक रफ़्तार,
विपत्ति समय धीरे चले, सुख में झटपट पार ।
(c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव "नील पदम्"
6 जनवरी 2025
पृथक समय में वक़्त की, होय पृथक रफ़्तार,
विपत्ति समय धीरे चले, सुख में झटपट पार ।
(c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव "नील पदम्"
9 फ़ॉलोअर्स
दीपक कुमार श्रीवास्तव "नील पदम्" रोटी के जुगाड़ से बचे हुए समय का शिक्षार्थी मौलिकता मेरा मूलमंत्र, मन में जो घटता है उसमें से थोड़ा बहुत कलमबद्ध कर लेता हूँ । सिर्फ स्वरचित सामग्री ही पोस्ट करता हूँ । शिक्षा : परास्नातक (भौतिक शास्त्र), बी.एड., एल.एल.बी. काव्य संग्रह: इंद्रधनुषी, तीन (साझा-संग्रह) नाटक: मधुशाला की ओपनिंग सम्पादन: आह्वान (विभागीय पत्रिका) सम्प्रति: भारत सरकार में निरीक्षक पद पर कार्यरत स्थान: कानपुर, मेरठ, रामपुर, मुरादाबाद, नोएडा, गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश)D