4 दिसम्बर 2016
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आज कल हर पार्टी एक दूसरे आरोप लगाती है कि ये पार्टी या सर्कार किसान विरोधी है पर किसानो की मूल समस्या क्या है किसी ने समझने की कोशिश नही की नही समझी यदि समझी भी तो उसे नजरअन्दाज किया केवल सम्रर्थन मूल्य बढाने के नारे लगाये दूसरी बात आज तक सरकार ने जातिगत गण्ना आर्थिक गण्न
नोट बन्दी पर आदमी लाईन मे लगा है अपनी बारी का इन्तजार कर रहा है लण झगड भी रहा है पर धरना प्रद्र्शन नही कर रहा है धरना प्रद्र्शन नेता लोग कर और करा रहे है इससे यह आभास हो रहा है चोट