खोल पंख अपने उड़ती आकाश में हो
चली उड़ती चली कह सी चली हो
कुछ चुलबुली सी कुछ मनचली सी
ऐसी तितली चली हो ।
रंग बिरंगे पंख पसारे
ले चली वो हवा के सहारे
ऐसी लहराती बलखाती
कभी गिरी कभी संभलती
चली वो एक तितली चली
21 अप्रैल 2022
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शब्दों का कोई मोल ना बंदे शब्द है अनमोल, रे नाप तोल के बोल तू बन बड़े अनमोल रे़ सोच समझ के बोल तू बंदे शब्द है अनमोल रे D