यू ही नहीं मिलता कोई
लाखो करोड़ों की भीड़ में
कितने जन्मों से तरसा होगा
वो भी कितने पल मरा होगा
जब जाके कही मिला होगा
यूंही अनजान राही बन तब
कही छिपा होगा ऐसा वो रही बन
रिश्ता जो कही एहसासों से परे था
ऐसा ही कुछ जो जज्बातों से परे था
कोई नही था फिर भी हम सफर वो
इतना करीब था ऐसा ही कुछ रिश्ता
तेरा मेरा ये रिश्ता अजीब था ।