सबसे पहले तो इस हादसे में मृत्यु को प्राप्त हुये लोगों को ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे वे उनके परिवार को इतनी हिम्मत दे ताकि वह इस दारूण दुख से लड़ सके | अब बात करे इस दुर्घटना की तो किसी भी दुर्घटना के पीछे केवल और केवल कोई ना कोई लापरवाही जरुर होती है बिना किसी लापरवाही के कोई भी दुर्घटना जन्म नही लेती है अब बात करे इस दुर्घटना के पीछे कौन है क्या है वो तो जांच में ही सामने आयेगा लेकिन यहां यह जरुर लिखना चाहूँगा की अब भारत देश में लापरवाही आम होती जा रही है अब यहां ऐसी स्थिति हो गयी है की किसी भी यातायात के साधनो में कोई भी सुरक्षा की गारंटी अब नही है यहां तक की कोई भी अब यातायात में सुरक्षित नही है कब क्या किसके साथ हो जाये कुछ भी पता नही है क्योंकि लापरवाही भारत देश में एक भारत देश का एक अभिन्न अंग बन गयी है यहां नेता भी अपना
पल्ला झाड़ने के लिये मृतकों को मुवाजा देकर और उन्हे सांत्वना
देकर के अपना पीछा छुड़ा लेते है |
इससे पहले भी भारत देश में बड़े बड़े रेल हादसे हुये है किन्तु इस भारत देश में राजनिति के अलावा और कुछ नही होता है और ना ही यहां होगा भारत देश केवल राजनीती में प्रसिध्द है यहां नेता चुनाव में जनता से हाथ जोड़कर के वोट तो मांगता है लेकिन जितने के 5 वर्ष बाद अपना बैंक बैलेंस को भरता है यहां ऐसा ही होता आया है सरकार से मिलने वाला पैसा विकास कार्य में कितना लगा है या अभी तक कितना लगाया है इसका जवाब किसी नेता के पास नही है और होगा भी तो वह देगा नही केवल और केवल बहस की ही राजनीती करेगा इस भारत देश में हर रोज जनता कहीं ना कहीं मर ही रही है फिर वो चाहे रोजगार हो या फिर महंगाई हो या फिर स्वास्थ्य हो या फिर यातायात हो अन्त
में यही लिखना चाहूँगा की इस देश में सब कुछ महँगा है सिवाय इंसान की जान के इंसान की जान सबसे सस्ती है " भारत देश को सोने की चिड़िया कहां जाता था जिसे पहले मुगलों ने लूटा अब नेता लूट रहे है और बदले में आम जनता इन नेताओं की गुलामी कर पिस रही है यह देश आजाद होते हुये भी आज नेताओं की जंजीरों में बंधा गुलाम सा प्रतित हो रहा है जहां आम जनता हर रोज कहीं ना कहीं अपने प्राणों को दांव पर लगा रही है या अपने प्राण को गंवा रही है |