बुंदेलखंड के एक गांव में उस समय खुशी का ठिकाना नहीं रहा, जब एक बेकार पड़े बोरवेल से अचानक पानी निकल आया। बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहे लोगों ने खूब पानी भरा। पानी के लिए रोजाना दर-दर भटकने वाले लोगों के लिए यह वरदान साबित हुआ। इसकी सूचना मिलते ही डीएम ने तत्काल वहां हैंडपंप लगवाने के आदेश दे दिए। अब हैंडपंप लग जाने से ग्रामीण इस गर्मी में काफी राहत महसूस कर रहे हैं।
-ललितपुर जिले के बालाबेहट गांव में सहरिया आदिवासी रहते हैं।
-यहां पेयजल के लिए एक दो हैंडपंप लगे हुए हैं, लेकिन कुछ दिन पहले ये हैंडपंप खराब हो गए थे।
-ऐसे में आदिवासी पानी को मोहताज हो गए और उन्हें दूर-दराज के इलाकों में जाकर तालाब, नदी आदि से पानी भरकर लाना पड़ता था।
पानी की तलाश में निकले बच्चे को अचानक दिखा बेकार पड़ा बोरवेल
-गांव के किनारे ही काफी समय पहले एक बोरवेल कराया गया था। यह बेकार पड़ा हुआ था।
-पानी की तलाश में घूम रहे बच्चों को अचानक ये बोरवेल दिख गया।
-इसके बाद बच्चों ने एक छोटे से मग को रस्सी में बांधकर बोरवेल के नीचे डाला, तो मग पानी से भर गया।
-ऐसे में उन्हें खुशी का ठिकाना नहीं रहा। पानी भरने के लिए यहां भीड़ लग गई।
-हालत ये हुई कि चिलचिलाती धूप में दिनभर बच्चे पानी भरने में लग गए।
बुंदेलखंड में पानी के मीलों दूर जाते हैं लोग
-बुंदेलखंड में पानी के लिए लोग कई-कई किलोमीटर पैदल जाते हैं।
-यहां तक कि बांदा में लोगों द्वारा केन नदी का गंदा पानी पीने का भी मामला आ चुका है।
-वहीं, झांसी जैसे इलाके में भी लोग बेतवा का गंदा पानी पीने को मजबूर हैं।
साभार: दैनिक भास्कर