शिव सहस्रनामावलि
आदि एवं अंत से रहित, सर्वेश्वर शिव देवाधिदेव हैं। मानव मात्र ही नहीं वरन देव, दानव, पशु-पक्षी, यहाँ तक की ईश्वर भी संकट के समय में शिव की ही शरण ग्रहण करते हैं। स्वयं पालनकर्ता श्री नारायण विष्णु भगवान ने शिव जी की सहस्रनामों से स्तुति कर उन्हे प्रसन्न किया था तथा अपना सुदर्शन चक्र पुन: प्राप्त किया