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शब्दों को अर्थपूर्ण ढंग से सहेजने की आदत।

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दैनिक लेखन प्रतियोगिता2022-01-11

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और वो तुम हो

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और वो हो तुम ************* ओंकार नाथ त्रिपाठी अशोक नगर बशारतपुर गोरखपुर "और वो हो तुम" 'शब्द इन' पर प्रकाशित होने वाली मेरी चौदहवीं पुस्तक है।यह मेरी

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और वो तुम हो

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और वो हो तुम ************* ओंकार नाथ त्रिपाठी अशोक नगर बशारतपुर गोरखपुर "और वो हो तुम" 'शब्द इन' पर प्रकाशित होने वाली मेरी चौदहवीं पुस्तक है।यह मेरी

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बस, इतना सा..

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बस, इतना सा ******** ओंकार नाथ त्रिपाठी -------------------------- "बस,इतना सा"यह मेरी "शब्द इन" पर प्रकाशित होने वाली आठवीं नई कविता संग्रह है।आम बोलचाल की भाषा में लिखी गई मेरी रचनाएं मानवीय सोच व

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बस, इतना सा..

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बस, इतना सा ******** ओंकार नाथ त्रिपाठी -------------------------- "बस,इतना सा"यह मेरी "शब्द इन" पर प्रकाशित होने वाली आठवीं नई कविता संग्रह है।आम बोलचाल की भाषा में लिखी गई मेरी रचनाएं मानवीय सोच व

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धड़कन

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"धड़कन"यह मेरी बारहवीं आनलाइन प्रकाशित पुस्तक है।इसके पहले योर कोट्स पर शब्द कलश,तथा 'शब्दइन' पर नौ आनलाइन कविता संग्रह प्रकाशित है।'शब्दइन' पर ही एक लघु कथा संग्रह भी प्रकाशित हो रहा है। आज 21फरवरी2024के दिन इस संग्रह की शुरुआत हो रही है।यह दिन भी म

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धड़कन

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"धड़कन"यह मेरी बारहवीं आनलाइन प्रकाशित पुस्तक है।इसके पहले योर कोट्स पर शब्द कलश,तथा 'शब्दइन' पर नौ आनलाइन कविता संग्रह प्रकाशित है।'शब्दइन' पर ही एक लघु कथा संग्रह भी प्रकाशित हो रहा है। आज 21फरवरी2024के दिन इस संग्रह की शुरुआत हो रही है।यह दिन भी म

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शब्द वाटिका

शब्द वाटिका

शब्दों को अर्थपूर्ण ढंग से सहेजना।उनकी बोल को लोगों तक पहुचाना।

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₹ 23/-

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कुंवारी रात

कुंवारी रात

"कुंवारी रात"शब्द इन पर प्रकाशित होने वाली यह मेरी नौंवी कविता संग्रह है,जिसकी पृष्ठभूमि 10जनवरी 2024को एक अस्पताल में तैयार हुई और 21फरवरी 2024को पूर्ण हुई।आज ही मेरी कविता संग्रह "बस! इतना सा" पूरी हुई है। कुंवारी रात की पहली कविता ही सार है इस कव

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कुंवारी रात

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"कुंवारी रात"शब्द इन पर प्रकाशित होने वाली यह मेरी नौंवी कविता संग्रह है,जिसकी पृष्ठभूमि 10जनवरी 2024को एक अस्पताल में तैयार हुई और 21फरवरी 2024को पूर्ण हुई।आज ही मेरी कविता संग्रह "बस! इतना सा" पूरी हुई है। कुंवारी रात की पहली कविता ही सार है इस कव

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एक किताब इस पर भी

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एक किताब इस पर भी "मेरी सोलहवीं कविता संग्रह की किताब है जो आनलाइन प्रकाशित हो रही है।इनमें से तेरह कविता संग्रह तथा दो कहानी संग्रह हैं।इस संग्रह में भी मैंने शब्दों के संवेदनशीलता को उजागर करने की कोशिश की है।इनमें संग्रहित रचनाएं मानवता के उन पहलु

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एक किताब इस पर भी

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एक किताब इस पर भी "मेरी सोलहवीं कविता संग्रह की किताब है जो आनलाइन प्रकाशित हो रही है।इनमें से तेरह कविता संग्रह तथा दो कहानी संग्रह हैं।इस संग्रह में भी मैंने शब्दों के संवेदनशीलता को उजागर करने की कोशिश की है।इनमें संग्रहित रचनाएं मानवता के उन पहलु

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मन की कोठर से...

मन की कोठर से...

मन के अन्दर तरह तरह के उद्गार उठते रहते हैं जो कि मनुष्य के मन की स्वभाविक प्रक्रिया है।इन्हीं उद्गारों के शब्दों को संवेदनाओं के साथ सजाकर उन्हें काव्य के रुप में सहेज का प्रयास है'मन की कोठर से....'।इसके पहले इसी तरह की कोशिश 'शब्द कलश'(योर कोट्स स

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₹ 66/-

मन की कोठर से...

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मन के अन्दर तरह तरह के उद्गार उठते रहते हैं जो कि मनुष्य के मन की स्वभाविक प्रक्रिया है।इन्हीं उद्गारों के शब्दों को संवेदनाओं के साथ सजाकर उन्हें काव्य के रुप में सहेज का प्रयास है'मन की कोठर से....'।इसके पहले इसी तरह की कोशिश 'शब्द कलश'(योर कोट्स स

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तुम भी

तुम भी

--"तुम भी..." "तुम भी..."मेरी छठवीं कविता संग्रह है जो 'शब्द इन'पर आन लाइन लिखी जा रही है और वहीं से इन लाइन प्रकाशित भी होगी।यह संग्रह पूर्ण होने से पहले तक नि:शुल्क रहेगी जो पूर्ण होते ही सशुल्क कर दी जायेगी। संग्रह में संकलित मेरी

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₹ 237/-

तुम भी

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--"तुम भी..." "तुम भी..."मेरी छठवीं कविता संग्रह है जो 'शब्द इन'पर आन लाइन लिखी जा रही है और वहीं से इन लाइन प्रकाशित भी होगी।यह संग्रह पूर्ण होने से पहले तक नि:शुल्क रहेगी जो पूर्ण होते ही सशुल्क कर दी जायेगी। संग्रह में संकलित मेरी

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तूं चाही,मैं रीता

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"तूं चाही,मैं रीता"यह मेरी सातवीं तथा शब्द इन पर प्रकाशित होने वाली। छठवीं काव्य संग्रह है।जब तक यह लिखी जा रही है तब तक के लिये पाठकों के लिए नि:शुल्क शब्द इन पर उपलब्ध रहेगी लेकिन पूर्ण हो जाने के बाद यह सशुल्क उपलब्ध हो सकेगी। आनलाइन लेखन मैंने सब

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तूं चाही,मैं रीता

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"तूं चाही,मैं रीता"यह मेरी सातवीं तथा शब्द इन पर प्रकाशित होने वाली। छठवीं काव्य संग्रह है।जब तक यह लिखी जा रही है तब तक के लिये पाठकों के लिए नि:शुल्क शब्द इन पर उपलब्ध रहेगी लेकिन पूर्ण हो जाने के बाद यह सशुल्क उपलब्ध हो सकेगी। आनलाइन लेखन मैंने सब

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समय की खिड़की

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समय की खिड़की ----------------------- © ओंकार नाथ त्रिपाठी "समय की खिड़की" मेरी प्रथम लघुकथा संग्रह है जो कि 'शब्द इन' पर आनलाइन प्रकाशित हो रही है।इस संग्रह में मेरी कई छोटी छोटी कहानियां संकलित हैं जो कि मैंने

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समय की खिड़की ----------------------- © ओंकार नाथ त्रिपाठी "समय की खिड़की" मेरी प्रथम लघुकथा संग्रह है जो कि 'शब्द इन' पर आनलाइन प्रकाशित हो रही है।इस संग्रह में मेरी कई छोटी छोटी कहानियां संकलित हैं जो कि मैंने

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नन्हीं परी

30 जनवरी 2025
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हांनयी थी वो भोर मेरे लिए जब पहली बार तुम्हें देखाअपनी आंखों में समेटे।लगा जैसे रोशनी छू ली हो मुझेतेरे नन्हें हाथों कीछुअन से।हम दोनों अपलक,निहारती रहींएक दुसरे कोजैसे म

बेटी!

30 जनवरी 2025
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जबएक नन्हीं कली सी थी तुम मेरी गोंद मेंतबतेरे पासपंख नहीं थेजैसे अब हैं।आजपहली बार भेज रहा हूं तुम्हें दूर अकेले पंख पसार।तुमरहना चौकन्ना संभले हर पलखुद को थामे हुए।नहीं हूंपा

अंधभक्ति

28 जनवरी 2025
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जबकहार हीलुटने लगे होडोली की दुलहन।तबऐसे मेंभला भरोसाकिस पर करे यह मन।औकात उनकी कत्तई नहीं थी इतनी किआंख दिखायें हमें बार-बार।वो तो मेरादीवानापन था जो सौंप दी हमनेअपने अधिकारों की चाभी।

हवस

27 जनवरी 2025
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तुम्हें!शोहरत की हवस नेकुछ ऐसानशीला बना दिया कि सोहबत का तुम पर असर होता ही नहीं।नज़रें!बिक जाती रहीं अक्सर जब भीउठायीं प्रश्न तेरे नजरिये पर।तेरी नीयतबोल उठती रही स्पर्श से हीभाषा के भ

मेरी जीवन यात्रा

27 जनवरी 2025
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क्या? तुम्हें भीयाद आ रही हैंकिलकारी से होकरजीवन के तमाम चौराहों तकगुजरतीमेरे संघर्ष कीअंतहीन! यात्राएं ।अदम्य साहस सेलबरेज! कैसी उमंगों भरी थी,मेरी जीवन यात्रा ।आज!जब तुम आये हुए हो,थके हुए

अहंकार

27 जनवरी 2025
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अहंकार! सागर जैसाजीवन एक बूंद साऐसे मेंदोनों का क्या मेल?भले हीतुम निकाल दोकुछ तारीखें काल के कैलेंडर सेलेकिन नहीं बदल सकोगेनियति केमजमून,जो मंजूर है।मत बनलूटेरा अमन का तूंतारीख के

आदत!

26 जनवरी 2025
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ऐसा नहीं, कि मैं आदतबनाना चाहता थातुम्हें! तुम तो-खुद ब खुदमेरी आदत मेंरच बस गयी।सुनते हैं किबढ़ती उम्रखत्म कर देती हैलगाव और उम्मीदें।लेकिन मेरे लिए तोयह बढ़ता ही जा रहातुम्हें न पाकर

थकी हारी प्रजा!

24 जनवरी 2025
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राजा ने संगम परस्नान के लिए विशेष पोशाक बनवाया।नहाने स्थल को,फूल मालाओं पोस्टर बैनरों सेदुलहिन जैसा सजाया गया।राजा की सुरक्षा मेंराजतंत्र पूरी तरह सेचाक चौबंद तथा-मुस्तैद होकर सजग है।प्

सुनो पगडंडियों!

24 जनवरी 2025
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सुनो पगडंडियों!सतर्क औरखबरदार रहना।फिर घूमने लगे हैंबहुरुपिए! सौगात कीरेवड़ी लेकरअपने इन हाथों में।फिर रौंदेंगे तुम्हें!मोती की चाह मेंछोड़ देंगेंखाली करकेतुम्हें सीप की तरह।तेरी च

कच्छे लौटा दो

24 जनवरी 2025
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उसने!यही नारा दिया था,कि ये ज़मीं ये आसमां,किसी एक का नहीं।ऐतबार, मुहब्बत! प्यार और मुस्कान!! सबके हिस्से का है ये,सुकून भरा मुकाम।हर मंजिल !जीवन लक्ष्य के,सभी रास्ते!भूंखों को भोजन,शाम और स

किताब पढ़िए