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ओंकार नाथ त्रिपाठी के बारे में

शब्दों को अर्थपूर्ण ढंग से सहेजने की आदत।

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ओंकार नाथ त्रिपाठी की पुस्तकें
मन की कोठर से...

मन की कोठर से...

मन के अन्दर तरह तरह के उद्गार उठते रहते हैं जो कि मनुष्य के मन की स्वभाविक प्रक्रिया है।इन्हीं उद्गारों के शब्दों को संवेदनाओं के साथ सजाकर उन्हें काव्य के रुप में सहेज का प्रयास है'मन की कोठर से....'।इसके पहले इसी तरह की कोशिश 'शब्द कलश'(योर कोट्स स

14 पाठक
51 रचनाएँ
1 लोगों ने खरीदा

ईबुक:

₹ 74/-

मन की कोठर से...

मन की कोठर से...

मन के अन्दर तरह तरह के उद्गार उठते रहते हैं जो कि मनुष्य के मन की स्वभाविक प्रक्रिया है।इन्हीं उद्गारों के शब्दों को संवेदनाओं के साथ सजाकर उन्हें काव्य के रुप में सहेज का प्रयास है'मन की कोठर से....'।इसके पहले इसी तरह की कोशिश 'शब्द कलश'(योर कोट्स स

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शब्द वाटिका

शब्द वाटिका

शब्दों को अर्थपूर्ण ढंग से सहेजना।उनकी बोल को लोगों तक पहुचाना।

12 पाठक
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₹ 25/-

शब्द वाटिका

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शब्दों को अर्थपूर्ण ढंग से सहेजना।उनकी बोल को लोगों तक पहुचाना।

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आधा तुम मुझमें हो

आधा तुम मुझमें हो

'आधा तुम मुझमें हो',यह मेरी छठवीं कविता संग्रह है।यह शब्द इन प्लेटफार्म पर प्रकाशित हो रही है।इसके पहले काव्य‌ वाटिका,मन की कोठरी से,मन की गठरी तथा तुम्हीं से शुरु,शब्द इन पर तथा शब्द कलश योर कोट्स से प्रकाशित हो चुकी है।इस नवीन काव्यसंग्रह में 50कव

4 पाठक
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₹ 222/-

आधा तुम मुझमें हो

आधा तुम मुझमें हो

'आधा तुम मुझमें हो',यह मेरी छठवीं कविता संग्रह है।यह शब्द इन प्लेटफार्म पर प्रकाशित हो रही है।इसके पहले काव्य‌ वाटिका,मन की कोठरी से,मन की गठरी तथा तुम्हीं से शुरु,शब्द इन पर तथा शब्द कलश योर कोट्स से प्रकाशित हो चुकी है।इस नवीन काव्यसंग्रह में 50कव

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मन की गठरी

मन की गठरी

मन की गठरी- ---------------- 'मन की गठरी'मेरी काव्य संग्रह की तीसरी कड़ी है।इस संग्रह में मन के कोने में पड़े विचारों को शब्दबद्ध कर उन्हें तर्कपूर्ण तथा संवेदनशील करके परोसने का प्रयास किया गया है।मन में विचार पैदा होते रहते हैं उनविचारों को लोगों क

3 पाठक
50 रचनाएँ
2 लोगों ने खरीदा

ईबुक:

₹ 185/-

मन की गठरी

मन की गठरी

मन की गठरी- ---------------- 'मन की गठरी'मेरी काव्य संग्रह की तीसरी कड़ी है।इस संग्रह में मन के कोने में पड़े विचारों को शब्दबद्ध कर उन्हें तर्कपूर्ण तथा संवेदनशील करके परोसने का प्रयास किया गया है।मन में विचार पैदा होते रहते हैं उनविचारों को लोगों क

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तुम भी

तुम भी

--"तुम भी..." "तुम भी..."मेरी छठवीं कविता संग्रह है जो 'शब्द इन'पर आन लाइन लिखी जा रही है और वहीं से इन लाइन प्रकाशित भी होगी।यह संग्रह पूर्ण होने से पहले तक नि:शुल्क रहेगी जो पूर्ण होते ही सशुल्क कर दी जायेगी। संग्रह में संकलित मेरी

निःशुल्क

तुम भी

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--"तुम भी..." "तुम भी..."मेरी छठवीं कविता संग्रह है जो 'शब्द इन'पर आन लाइन लिखी जा रही है और वहीं से इन लाइन प्रकाशित भी होगी।यह संग्रह पूर्ण होने से पहले तक नि:शुल्क रहेगी जो पूर्ण होते ही सशुल्क कर दी जायेगी। संग्रह में संकलित मेरी

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तुम्हीं से शुरु

तुम्हीं से शुरु

अक्सर ऐसा होता है कि जो हम चाहते हैं वह नहीं होता फिर भी हमें स्वीकार करते हुए संतुष्ट होना रहता है, हालांकि यह मन की चाहत नहीं होती है फिर भी अनेक बंदिशों के कारण स्वीकारना होता है।कभी समाज के लिये तो कभी अपनों के लिये।मन में लिये अपनी खुशी के लिये

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1 लोगों ने खरीदा

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₹ 214/-

तुम्हीं से शुरु

तुम्हीं से शुरु

अक्सर ऐसा होता है कि जो हम चाहते हैं वह नहीं होता फिर भी हमें स्वीकार करते हुए संतुष्ट होना रहता है, हालांकि यह मन की चाहत नहीं होती है फिर भी अनेक बंदिशों के कारण स्वीकारना होता है।कभी समाज के लिये तो कभी अपनों के लिये।मन में लिये अपनी खुशी के लिये

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19 मार्च 2023

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....फिर कोई लड़की

14 मार्च 2023

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तेरी उड़ान

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तेरे लिये

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7 मार्च 2023

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बहाना

4 मार्च 2023

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