और वो हो तुम ************* ओंकार नाथ त्रिपाठी अशोक नगर बशारतपुर गोरखपुर "और वो हो तुम" 'शब्द इन' पर प्रकाशित होने वाली मेरी चौदहवीं पुस्तक है।यह मेरी तेरहवीं कविता संग्रह है।"और वो हो तुम" में मैंने मानवीय संवेदनाओं को उद्धृत करने की कोशिश की है। संवेदनाएं ही मानवीयता का गुण हैं अगर ये लहूलुहान हुईं तब मानवता भी क्रंदन करती है और जब मानवता ही रोने लगे तब ऐसे में संवेदनशीलता का लोप हो गया रहता है। साहित्य संवेदनशीलता को संरक्षित करने और रखने का प्रयास करता है।"और वो हो तुम" के माध्यम से इसी के लिए एक प्रयास करती रचनाओं का संग्रह है"और वो हो तुम"। आशा है आप पाठक गण को रुचिकर लगे।आपके सुझाव तथा आलोचनाएं मेरा मार्गदर्शन करेंगी। शब्द चित्र अगर किसी व्यक्ति, स्थान अथवा चरित्र से मेल खाते हुए लगें तब वह मात्र एक संयोग होगा। © ओंकार नाथ त्रिपाठी अशोक नगर बशारतपुर गोरखपुर।