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ऐ बादल तुम क्यों रोते हो, तुम तो गगन के साथी हो कोयल तुम क्यों मुंह लटकाये, चुपचाप सी बैठी हो मचलती इठलाती जब, बागों में गाना गाती हो मोर भी अपने पर फैलाये, घनघोर घटा को रोते हैं क्या होगा इंस