कविता
जिन्दगी की हक़ीकत भी ख्वाबों से इतर होती है। 2जो सुलझ न सके सरलता से, सवाल अक्सर वही देती है।।समझने चलो जो जिन्दगी को, तो सजा ही सजा लगती है।2और जीते चलो हर लम्हे को, तो मजा ही मजा लगती है।यहाँ......कुछ बादल गरजते हैं, कुछ बादल बरसते हैं। 2मदद के हकदार यहाँ, अक्सर ही तरसते हैं ।।न कोई समझा है, और कोई