कुछ इस तरह से में अपना फर्ज निभाता चला गया..तोड़ कर अपनी ख्वाईशो का दामन जरुरतो से रिश्ता निभाता चला गया...
में प्रेम गीत गाता चला गया, में प्रेम गीत गाता चला गया..
जो कभी ना चल सका,जो कभी ना चल सका उन काटो भरे रास्ते पर भी में मुस्कुराता हुआ चला गया...
में प्रेम गीत गाता चला गया...
जानता हूं धोखा दे रहा हैं वो मुझको..
फिर भी अपना प्यार उस पर में लुटाता चला गया...
में प्रेम गीत गाता चला गया
छोड़ दी आस अब उसके लौट आने की...
दिल से अपने में ये भरम मिटाता चला गया...
में प्रेम गीत गाता चला गया...
बाकी कही ना रहे अब जख्मों के निशान...
उन जख्मों पर खुद ही मरहम में लगाता चला गया
में प्रेम गीत गाता चला गया| @prit