ऐसो प्रेम का रंग लगायो तूने , बस तेरी याद सताई देहुँ सौ सौ गारियां तने , जाने प्रीत की रीत बनाई
ऐसा रोग लगाया जाकी दवा नहीं आती है सूरत मन में ऐसी बस गयी , दूजी सूरत नहीं सुहाती है अब तो इक ही बात कहूँ सबसे मैं....................
प्रेम करना धोखा है और आशिकी दिलासा ऐश कर लो यारों पर दिल नहीं लगाना और गर दर्द ए तन्हाई सितम ढाये तो दो चार पैग लगाकर जन्नत की शैर जाना.!!!!!
घूमत मैं संसार फिरूँ और सोचत तेरी बात याद में तेरी दिन बिसरे और फरियादों में रात सोच सोच कर हर लम्हा, आँखें भर भर आती हैं हालत ऐसी हो गयी, बस सांसें आती जाती हैं. ऐसी विरह वेदना में मैं , बोलूं बस इक बात ................
प्रेम करना धोखा है और आशिकी दिलासा मौज़ कर लो यारों पर दिल नहीं लगाना और देख सोहिनी सूरतें दिल करने लगे बगावत तो इक सूरत से नहीं फिर कईओं से दिल लगाना !!!!!!!!
पढत पढ़त मेरे दिन गुजरे , और समझत बीती रात , पर समझ न आये बात मेरे तुझमे वो क्या बात , काली काली आँखे तेरी और गोरे गोरे गाल कर देती है बेबस मुझको देखन को तेरी चाल, ऐसी धक् धक् हालत में मैं बोलू इक ही बात....
प्रेम करना धोखा है और आशिकी दिलासा मौज़ कर लो यारों पर दिल नहीं लगाना और देख सोहिनी सूरतें दिल करने लगे बगावत तो इक सूरत से नहीं फिर कईओं से दिल लगाना !!!!!!!!
लाख करी मैंने मन्नतें और करोड़ करी अरदास , दरगाहो में तबीजे बांधे, तेरे इश्क़ की थी इक आस, देख के तेरी भोली सूरत , म्हारी झोली बस भर जाये दुआ करूँ , सिजदा करूँ , मेरी प्रीत मुझे मिल पाये, जब सारी अरदासें झूठी लगें और मन्नत लगे छलावा, जीते जीते कुछ न भयो , अब दुआ करूँ मर जावां, ऐसी प्रीत परीक्षा में मैं बोलूं बस इक बात
प्रेम करना धोखा है और आशिकी दिलासा मौज़ कर लो यारों पर दिल नहीं लगाना और देख सोहिनी सूरतें दिल करने लगे बगावत तो इक सूरत से नहीं फिर कईओं से दिल लगाना !!!!!!!!
-आलोक शुक्ला