इतिहास बदल डालो पर भूगोल बदलने की मत सोचो
कथित समाजवाद के नाम पे भारत माता को मत तोड़ो
कुछ तो कदर करो भारत की जिस माटी ने तुमको जनम दिया
जिसके वीरो ने तुम्हारी रक्षा की खातिर खुद को हवन किया
जैसलमेर की गर्मी , सियाचिन की ठण्ड इतनी आसान नहीं होती
एक एक पग जमीन की खातिर वीरो ने अपना शमन किया
अखंड राष्ट्रवाद को अपने कुत्सित समाजवाद से मत जोड़ो
हमने जंगल में रहकर अपनी जवानी को देश पे कुर्बान कर दिया
तुमको अँधेरे का पता चले न, इसलिए अपना जीवन अंधकार किया
इतनी आसानी से बिजली पानी नहीं मिल रहा तुमको ये याद रखो
तुमसे ज्यादा पढ़े लिखो ने तेल . कोयला , पानी के खातिर संघर्ष किया
निवेदन करता हूँ , उनकी मेहनत को अपने हॉस्टल की अय्याशी से मत जोड़ो
कथित समाजवाद के नाम पे भारत माता को मत तोड़ो .....