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वतन के नाम पे मिटने वाले का यही बाकी निशाँ होगा

4 अप्रैल 2015

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featured imageशहीद अनमोल प्रताप सिंह : कानपुर तुम्हे याद रखेगा. भारत तुम्हे याद रखेगा हम आपकी China Border की इस शहादत के लिए सारी उम्र आपको याद रखेगे .. "कर्त्तव्य पथ पर चाहे दुश्मन हो या हो बर्फ का तूफ़ान , सामने मौत की आंधी हो , और दूर तक न हो कोई इंसान, लद्दाख को सुन्दरतम बनाने की खातिर, और क्या दूँ तुम्हे ऐ देशवासी जान तो चली गयी पर बच गया अभिमान ......... "
रेणु

रेणु

शहीद अनमोल प्रताप सिंह को कोटि - सादर नमन ---- जय हिन्द --

31 मार्च 2017

महातम मिश्रा

महातम मिश्रा

सादर नमन शहीद अनमोल प्रताप सिंह जो को, भारत माँ के बीर सपूत नाज है आप पर......

13 मई 2015

पंडित के .डी .पाण्डेय

पंडित के .डी .पाण्डेय

अपने देश के लिए मर मिटने वाले शहीद अनमोल प्रताप सिंह को शत शत नमन |

24 अप्रैल 2015

शालिनी कौशिक एडवोकेट

शालिनी कौशिक एडवोकेट

शहीद अनमोल प्रताप सिंह को हमारा भी सलाम .जय हिन्द .

12 अप्रैल 2015

पुष्पा पी. परजिया

पुष्पा पी. परजिया

वतन पर मर मिटने वाले महान शहीद अनमोल प्रताप सिंह जी को सादर श्रंद्धांजलि ..

4 अप्रैल 2015

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जुगनू की चमक क्या होती है तुम क्या जानो

27 जनवरी 2015
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जुगनू की चमक क्या होती ह तुम क्या जानो , चमचमाती रौशनी वालो दीपक की कदर क्या जानो , प्यार को वासना की नज़र से देखने वालो , प्यार की संवेदना और वेदना को क्या जानो ..... दीपक से बल्ब बनाने वाले , अंधियारे को न हटा पाये , कागज़ के फूल तो बनाये पर , खुशबू

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” क्यों महंगाई पर रोते हो ”….. देश के 70 % युवाओ को इक सन्देश

27 जनवरी 2015
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शर्म करो पैसे वालो , तुम महंगाई पर रोते हो , जब जनमानस भूखा सोता है , तुम pizza hut पर होते हो …….. आज west के बहकावे में अंग्रेजी दारू पीते हो , week में 3 दिन सिर्फ pizza berger पर जीते हो , फिर उसी liverpool के दीवाने हो , जिसके खातिर संघर्ष ह

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प्रेम करना धोखा है और आशिक़ी दिलासा .....

25 जुलाई 2015
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ऐसो प्रेम का रंग लगायो तूने , बस तेरी याद सताई देहुँ सौ सौ गारियां तने , जाने प्रीत की रीत बनाई ऐसा रोग लगाया जाकी दवा नहीं आती है

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एमिनेंट ब्राह्मण ऑफ़ सेंट्रल उप्र.

24 मार्च 2015
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महोदय , आज समस्त भारत Casteism , Regionalism एवं धार्मिक सहिष्णुता पर विश्वास कर रहा है , हमारे समूह का उद्देश्य भी राष्ट्रीय एकता , अखंडता एवं संप्रभुता को ध्यान में रखते हुए अपने देश समाज जाति एवं परिवार का विकास करना है / परन्तु आरक्षण जैसी आरोपित व्यवस्था एवं विभिन्न प्रदेशो का भाषा , रीति रिव

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"कुछ अच्छा नहीं लगता इक तुम्हारे बगैर "

24 मार्च 2015
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दीवानगी में डूबा हुआ हूँ कुछ इस तरह , कुछ अच्छा नहीं लगता इक तुम्हारे बगैर ..... सब filme सारे गाने सिर्फ फ़साने हो गए , पंछी भी उड़ते उड़ते प्रेम दीवाने हो गए

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BJP - Technical Student Wing

28 मार्च 2015
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कृपया हमारे इस प्रयास में जुड़ने के लिए Facebook Group पर हमे ज्वाइन कीजिए https://www.facebook.com/groups/1374782242847206/ भारतीय जनता पार्टी, देश की एक मात्र ऐसी राजनीतिक पार्टी है, जिसका आविर्भाव राजनीतिक हितो से इतर भारत माता की सेवा , भारत की एकता , अखंडता एवं संप्रभुता को बनाये रखने के

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No, Smriti Irani is not wasting your money on the IITians

31 मार्च 2015
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Respect Talent, Believe in Government and let young IITians work for you and support upcoming IITians. क्या आपको पता है , जिस AC का आनंद ले रहे हैं आप उसके Energy requirement के लिए IITians धरती से 900 meter underground, या बारमेर , जैसलमेर , समुद्र के बीच में रहते हैं. या फिर ये जो सोने , डायमंड,

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वतन के नाम पे मिटने वाले का यही बाकी निशाँ होगा

4 अप्रैल 2015
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शहीद अनमोल प्रताप सिंह : कानपुर तुम्हे याद रखेगा. भारत तुम्हे याद रखेगा हम आपकी China Border की इस शहादत के लिए सारी उम्र आपको याद रखेगे .. "कर्त्तव्य पथ पर चाहे दुश्मन हो या हो बर्फ का तूफ़ान , सामने मौत की आंधी हो , और दूर तक न हो कोई इंसान, लद्दाख को सुन्दरतम बनाने की खातिर, और क्या दूँ तुम्हे ऐ

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प्यार क्या होता है , कोई इसका मुझे जवाब दे

30 मई 2015
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सागर के बीचो बीच जाकर इक किनारा ढूंढता हूँ .... one sided love

30 मई 2015
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बादलो से घिरे आसमान में इक सितारा ढूंढता हूँ सागर के बीचो बीच जाकर इक किनारा ढूंढता हूँ कोई तो है जिसकी यादो में खोया रहता हूँ उसके प्यार की कहानियां परिंदो से मैं कहता हूँ गाने सुनकर जिसके ख्वाबों में खो जाने की आदत हो गयी है फिल्मे देखकर ज

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दो पैसो की लाचारी है ये , इस बात की हैरानी है

17 जून 2015
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कौन चाहता है जगमग शहरो से दूर बसेरा चमचम करती बिजली और कारो से दूर बसेरा शायद कुछ लोगो की खातिर ये नीयत की मनमानी है कुछ के खातिर ये अपनी मिटटी अपना पानी है पर सहज भाव से छोड़, पड़े हम सारी अय्याशी को दो पैसो की लाचारी है ये , इस बात की हैरानी है/ जिनकी खातिर हमने अपनी खुशियों का

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बन जाना कुत्ता , पर बैल न बनना भाई

19 जून 2015
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पूछा एक बैल से तो देने लगा दुहाई बन जाना कुत्ता पर बैल न बनना भाई काम बहुत करता हूँ पर मिलती नहीं पगार वो बैठे बैठे मालिक का बन जाता वफादार काम एक न करना, बस सोना, खाना और भौंकना ये ही है कुत्ते भैया के जीवन का सार मुझे खाने को घास मिले और कुत्ते को मिले मलाई बन जाना कुत्ता

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हिंदुत्व एवं आधुनिक विज्ञानं : पृथ्वी की आयु

8 सितम्बर 2015
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Hinduism and Science:Age of Earth=4.32by (Hinduism) Age of Earth (Modern Science)=4.5by (approx.) 1 year of demigod=360 years of humen Age Avg Age of Man Demigod Years 1 demigod year=360 years Years Satyuga 4800 360 1728000 4.32by 100000 Precambrian, Cambrian, Pale

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वैदिक समय चक्र : वर्तमान परिप्रेक्ष्य

19 सितम्बर 2015
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Vedic Timeseconds 1 Year=31536000s Years Vedic Time Scale1E+22 31536000 3.17098E+14 Cycle of Brahma1E+18 31536000 31709791984 1E+17 31536000 3170979198 3.17by 1day of Brahma=4.32by1.00E+15 31536000 31709791.98 1E+14 31536000 3170979.198 3.17my 1mahayuga=4.32my100000000 31536000 3.17097

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क्या भूलू क्या याद करूँ , क्या खोया क्या पाया

9 अक्टूबर 2015
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क्या भूलू क्या याद करूँ, क्या खोया क्या पाया किसका सम्मान किसे बदनामकरूँ , जब अपनों ने ही ठुकराया  थोड़ी कोशिस की थी मछुआरेने जब लहरों से टकराया था पतवार चलाकर हिम्मत कीलहरों का रुख  मुड़ आया था आज समुन्दर की बेरहमी मेंन मछुआरा है न पतवार इंतज़ार नहीं अब तिनके का, न अपने साहस का एतबारन है किनारा न है ठ

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बड़ी मेहनत से घर बनाते हैं तुम आशियाँ छीन लेते हो

12 अक्टूबर 2015
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क्या गुनाह किया है हमने जो हमारी खुशियाँ छीन लेते हो बड़ी मेहनत से घर बनाते हैं तुम आशियाँ छीन लेते होकभी एक किसान का बेटा, बचपन से खेतो की मेड़ो पे मरता है सरकारी नौकरी का सपना लेकर पल पल दीपक की लौ सा जलता है जिसके घर न कभी रौशनी आई ,न भर पेट मिला खाना फिर भी अपने सपनो की दुनिया पाने को हर पल आहें भ

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इतिहास बदल डालो पर भूगोल बदलने की मत सोचो

10 मार्च 2016
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इतिहास बदल डालो पर भूगोल बदलने की मत सोचो कथित समाजवाद के नाम पे भारत माता को मत तोड़ो  कुछ तो कदर करो भारत की जिस माटी ने तुमको जनम दिया जिसके वीरो ने तुम्हारी रक्षा की खातिर खुद को  हवन किया जैसलमेर की गर्मी , सियाचिन की ठण्ड इतनी आसान नहीं होती एक एक पग जमीन की खातिर वीरो ने अपना शमन किया अखंड राष

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