19 जून 2015
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मैं आलोक शुक्ल , सनातन वैदिक समाज , साहित्य , विज्ञानं को वर्तमान जीवनशैली , मानसिक विचारो ,आधुनिक विज्ञानं एवं प्रौद्योगिकी के परिप्रेक्ष्य में स्थापित करने में कार्यरत हूँ एवं वैदिक सनातन इतिहास के माध्यम से वर्तमान अनुसन्धान एवं युवा जागरूकता के कार्य में संलग्न हूँ. D
सबसे अलग रचना ... बेहद अच्छी लगी मुझे ....
20 जून 2015
बहुत बहुत आभार श्री ओम प्रकाश शर्मा जी , आपकी प्रशंसा हमे लिखने के लिए प्रेरणा देती है , धन्यवाद
19 जून 2015
अलोक जी, कवि मन तो कहीं से भी कविता ढूंढकर निकाल लाता है. आपकी इस कविता से मुझे अँगरेज़ कवि राल्फ वाल्डो इमर्सन की कविता 'द माउंटेन एंड द स्कविरेल' याद आ गयी, जिसमें कवि के कहने का तात्पर्य यह है कि संसार में कोई भी जीव छोटा या बड़ा नहीं है...प्रत्येक जीव की अपनी पहचान एवं महत्ता है। इसी प्रकार लिखते रहिए और सीखते-सिखाते रहिए !
19 जून 2015