2 दिसम्बर 2021
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मैं समाजशास्त्र विषय की प्रोफेसर हूं और शब्दों की लड़ियां पिरो कर भावों को व्यक्त करने में विश्वास करती हूं।D
<p>मां तो मां होती है।</p> <p>सृजन का सम्मान होती है</p> <p>जगत की शक्ति और नवजात शिशु की।</p> <p>सृ
<p>बच्चे मन के सच्चे होते हैं।</p> <p>हृदय से नाजुक फूल होते हैं।।</p> <p>बचपन में कली की मानिंद कोम
<p> जिन्दगी एक पुष्प गुच्छ है।</p> <p>जिसमें जितना खुशियां भरेंगे।।</p> <p>और इंसानियत को समर्प
<p>प्रेम से दुनिया में ताजगी है।</p> <p>प्रेम भाव से जिन्दगी चलतीं है।।</p> <p>हृदय को स्पर्श करने म
<p>होंठों पर ओस की बूंदों जैसी खुबसूरती लिपट गई।</p> <p>हृदय से हृदय के तार जुड़े और मैं मचल गई।।</p
<p>पकड़ लो हाथ मेरा ओ मेरे हमराही।</p> <p>छुई-मुई नाजुक पुष्प हूं मैं हृदय के माही।।</p> <p>कितनी नि
<div>जिसको लेखन का है शौक।</div><div>शब्द घुमड़ते है दिन रैन।।</div><div>कहानी,कविता, संस्मरण, डायरी
<div>बड़ों का हो आशीर्वाद।</div><div>भोजन हो सुस्वादु।।</div><div>भाषा का वादानुवाद।</div><div>रिश्त
समाप्त