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पुराने नीम की छांव में

4 दिसम्बर 2021

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    गिल्ली डंडा बाघा बीता
    छुक छुक इंजन वाला खेल,
    दिन भर आना जाना रहता
    सबसे होता रहता मेल,
    सुख-दु:ख की सब बात समझते,
    अपनापन के फूल थे झड़ते ,
    तैरते प्यार की नाव में
    पुराने नीम की छांव में  |
                  बिखर गये सम्बन्ध सब
                  पतझड़ सा बहार में,
                  ऐसा छाया काला जादू
                  जहर घुल गया प्यार में,
                  दिया दिवाली रंग रंगोली,
                  भूल गये रंगों की होली,
                  मिलता कोई न राह में
                  पुराने नीम की छांव में ||
    दादा,दादी के किस्से व
    डांटा -डांटी,प्यार दुलार,
    कौन पूछता अब दादी को
    दादा गये संसार सिधार,
    आल्हा कजरी सोहर गीत,
    न ढोल तमाशा का संगीत,
    सन्नाटा पसरा गॉव में 
    पुराने नीम की छांव में |
   Rambriksh Ambedkar Nagar
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कविता-होली में हो लें हम एक-दूसरे के|होली के रंगों मेंमन के उमंगों मेंलोगों के संगों मेंझूम झूम जाएं हमघूम घूम गाएं हम होली में हो लें हम एक-दूसरे केऋतु के वसंतों मेंमदमस्त अंगों मेंफूलों के रंगो

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