इस मूल पात्र का असल नाम ‘’तारानाथ तांत्रिक ‘’ है अंग्रेजी वर्जन में और बांग्ला साहित्य में l
यह चरित्र अब पब्लिक डोमेन है , भारतीय कॉमिक्स जगत में यदि उल् लेख नीय प्रायोगिक लेखन की चर्चा की जाए तो ‘’शामिक दासगुप्ता ‘’ का नाम अनेक विवादों एवं बयानों के बावजूद अग्रणी होगा इसमें कोई शक नहीं है l
अब तक भारतीय कॉमिक्स को केवल बच्चो की चीज ही माना जाता रहा है , यहाँ कॉमिक्स कल्चर उतना फला फुला नहीं उसका कारण यही सोच है l ऐसे में होली काऊ ,स्पीच बबल्स ,याली ड्रीम्स क्रिएशन , जैसे कुछ पब्लिकेशन हाउस इस सोच को बदलने का प्रयास कर रही है l
स्पीच बबल और याली ड्रीम्स क्रिएशन मूलतः अंग्रेजी ग्राफिक नावेल के लिए जानी जाती है , किन्तु हिंदी पाठको की मांग को देखते हुए इन्होने कुछ टाईटलस हिंदी में भी प्रायोगिक तौर पर पब्लिश करने का निर्णय लिया है जिसके तहत
इनकी अंग्रेजी ग्राफिक नॉवेल ‘’तारानाथ तांत्रिक ‘’ जो क्रिटिकली काफी सराही गयी थी
को हिंदी पाठको के लिए भी उपलब्ध कराने का प्रयास किया है ,
जो कितना खरा उतरती है इसका विश्लेषण करती है l
कहानी केन्द्रित है कलकत्ता में , तीन मित्रो की तिकड़ी है ,पहला है विभूति जो लेखन में प्रयोग करना चाहता है लेकिन ऊसके अनुसार पाठको को अभी उसका लेवल समझने में वक्त लगेगा l
दूसरा है शंकर जो एक पुलिसवाला है , और तीसरा है एक रहस्यमयी बुढा ‘’तारकनाथ ‘’ l
तारकनाथ एक रहस्यमयी व्यक्ति है जिसके अनुसार वो माँ काली से मिल चूका है l इसकी कहानिया काफी रोमांचक होती है यही वजह है के शंकर और विभूति अक्सर उससे मिलने आया करते है l
विभूति की कहानिया तारक की ही कहानियो को आधार बना कर लिखी गयी है l
लेकिन उन्हें नहीं पता के वे खुद भी अब तारक की कहानियों का हिस्सा बनने जा रहे है , स्नेहा शंकर की गर्लफ्रेंड है और एक मिडिया पर्सन भी है l
एक शाम स्नेह का सामना एक भयानक वाकये से होता है ,उसके सामने की
मेट्रो में एक व्यक्ति अचानक नरभक्षी बन जाता है और एक व्यक्ति की हत्या कर देता है l
वो इतना क्रूर हो जाता है के पुलिस को मजबूरन उसे शूट करना पड़ता है l
लेकिन यह घटना केवल शुरुवात ही थी , शंकर इसकी तफ्तीश में लगा है ,
नरभक्षी व्यक्ति एक सामान्य व्यक्ति निकलता है जिसका बैकग्राउंड एकदम सामान्य है l
भला कोई सीधा साधा व्यक्ति अचानक कैसे नरभक्षी बन सकता है इस सवाल ने शंकर
,विभूति और स्नेहां को चकरा रखा है l
उन्हें इस केस में किसी असामान्य शक्ति की शिरकत का संदेह होता है और
वे तारक की मदद लेते है l
इसी बिच इसी तरह की कई घटनाओं से शहर दहल उठता है ,एक अनजान
वोईस मेल और वोईस मेल को सुनने वाला खूंखार नरभक्षी में तब्दील हो जाता है l
जाँच के दौरान पता चलता है के इस घटना के तार कही न कही तारक के अतीत
में ही छुपे है और इन सभी घटनाओं के तार अंत में आकर स्नेह से मिलते है l
यह था कहानी का सारांश , जिसमे कई महत्वपूर्ण बातो का जिक्र नहीं किया गया l
सबसे पहले बात करूँगा इंग्लिश से हिंदी ट्रांसलेशन का ,
मूलतः अंग्रेजी ग्राफिक नावेल को हिंदी में ट्रांसलेट किया गया है ,
ट्रांसलेटर है विभव पाण्डेय जिन्हें मै व्यग्तिगत रूप से भी अच्छी तरह जानता हु l
ग्राफिक नावेल पढ़ते समय कही भी नहीं लगता के यह ट्रांसलेटेड वर्क है ,
बल्कि आपको आभास होगा के यह मूल रूप से हिंदी में ही लिखी गयी है ,
हां भाषा का स्तर थोडा अडल्ट मैच्योर है तो इसका ध्यान रखा जाना चाहिए ,
डार्क कहानी के हिसाब से ट्रीटमेंट सही है l
अब बात करते है कहानी की ,तो कहानी अनपेक्षित रूप से काफी दिलचस्प बन पड़ी है ,
सच कहू तो मुझे तारकनाथ में कोई ख़ास दिलचस्पी नहीं थी और ना ही मैंने कुछ
ज्यादा उम्मीदे रखी थी , सामान्य होरर के रूप में समझा था l
किन्तु पुस्तक पढ़ते ही मेरी धारणा बदल गयी , न सिर्फ कहानी दिलचस्प थी ,
अपितु चुस्त भी थी ,कही पर भी कहानी को बेवजह नहीं घसीटा गया है ,
पढ़ते पढ़ते लगा के इस दिलचस्प कहानी को काफी कम पेजेस मिले है ,
दुसरे भाग की प्रतीक्षा ही ना हो पा रही है l
कुल मिला कर यह एक जबरदस्त ग्रिपिंग ग्राफिक नावेल है जिसका टेस्ट अलग है ,
कुछ अलग टेस्ट की छह रखनेवाले पाठको को के लिए यह एक जबर्दस्त ट्रीटमेंट साबित होगा
इसमे कोई संशय नहीं l
अब बात करूँगा चित्रांकन एवं कलरिंग की ,तो चित्रांकन कहानी की तरह ही डार्क और जबर्दस्त बने है ,हां असल कलरिंग नॉन ग्लोसी पेजेस पर उभर कर सामने नहीं आ पाते , यदि यह ग्लोसी पेजेस पर होते तो आर्ट की क्वालिटी दुगुने स्तर पर उभर के सामने आती l
लेकिन यह मात्र छोटी सी खामी है जिसे नजरंदाज किया जा सकता है ,नॉन ग्लोसी पेजेस पर भी आर्ट ने अपना कमाल जारी रखा है l
पाठको को जरुर रिकमेंड करूँगा l