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रात और कवी

22 दिसम्बर 2016

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रात की चांदनी का ज़िक्र बड़ा सुना है

शीतल है धीमी है मंद मंद डसती है

किसी किसी पे हँसती है किसी को मन लुभाती है

हर को प्रतिबिम्ब की तरह उसी की बीती सुनाती है.....!

कुछ पागल होते है बिना कुछ किये रोज रात में सपने सजाते है

सपने ही पाते है...!

कोसते है चाँद को उसकी कमी बताते है

चाँद भी हंस पड़ता है प्रतिबिम्ब भी दिखाता है

शांत रात में जोर जोर चिल्लाता है

ओह ये मानव कहा सुन पाता है सपने ही बुनता है सपने ही पाता है........!

कुछ तो प्रियतम की छबि चांदनी में पाते है

चाँद का चकोर बड़े प्यार से दुलारते है

डरते थे जो कहने से उसी को दोहराते है

चाँद भी बताता है जोर से चिल्लाता है

बोल दे जो बोलना है इतना क्यों घबराता है

पर ये मानव कहा सुन पाता है सपने ही बुनता है सपने ही पाता है........!

अब कर भी क्या सकते है चाँद भी तो बेबस है

दोनों की सुनता इसकी उसे बताता है उसकी इसे बताता है

पर ये मानव कहा सुन पाता है

चाँद को ही कोसता है तू न होता तो आज वो मेरे सामने होती

अब सारी रात वो सपने ही बुनता है सपने ही पाता है.....!

पंडित कृष्णकुमार उपाध्याय की अन्य किताबें

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रात और कवी

22 दिसम्बर 2016
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रात की चांदनी का ज़िक्र बड़ा सुना है शीतल है धीमी है मंद मंद डसती है किसी किसी पे हँसती हैकिसी को मन लुभाती है हर को प्रतिबिम्ब की तरह उसी की बीती सुनाती है.....! कुछ पागल होते हैबिना कुछ किये रोज रात मेंसपने सजाते है सपने ही पाते है...! कोसत

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अपनी जीममेंदारी

17 जनवरी 2017
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नियति से समझौता कैसे हो मेरा बल तेरा बल सबका बल साथ हो भी आनेवाले कल से समझौता कैसे हो परिणामो को स्वीकार करो प्रकृत का गढ़ा आकर बनो जो होता होने दो , जो भी होता हैं होने दो ये सोचकर क्यों तुम भी....? कर्ज का हिस्सेदार बनो...! चलो परिवर्तन का आधार बनो.....1 हम नाचे त

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प्रेम

27 जनवरी 2017
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ईश्वर में प्रेम है ईश्वर में प्रकाश है प्रेम और वासना में फ़र्क़ बड़ा है मेरा प्रेम स्वच्छ है श्वेत है निर्मल है प्रेम में शांति है आशा है दया है प्रेम भी उससे ही है जो खूब श्वेत है नूर का प्रकाश भी उससे न तेज है आँखों से निकलती सदा रौशनी प्रेम की उसका भी प्रेम स्वच्

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हे प्रियतम

13 अप्रैल 2017
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सुन्दर हो तुम मन से तन से करियारी नहीं छा पायी है दृढ़ता है निश्छल मन है तब नूरानी कहलायी हो तुमसे सुन्दर होगा भी जो दुनिया जाने या तुम जानो मेरे मन को इस धरती पर केवल तुम्ही लुभायी हो अब सुंदरता के वश होकर निश्छल मन मेरा ये कहता तुम भी चल दो मै भी चल दू ऐरावत पथ के मेले में सब देव वहाँ तुमको देखे फ

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हे प्रभु तुम्हारी मांग है

3 मई 2017
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भावुक हृदय जलमग्न आंखे घोर वेदना के सिंधु में डूबते उतिराते है रोज की रात ऐसी ही होती है की क्रोध से कोपित हृदय है लावा भभकता उठ रहा है इस ज्वालामुखी को विवेक से शांत करते है अनर्थ हो रहा है अधर्म बढ़ रहा है कब तक शांत हो उठो जागो डोर थाम्हो कसो सीधे खींच

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चेतावनी है दैत्यों

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ये जान है ये आवाज़ है जिसे सुनते ही मूर्छित दुश्मन है तुम चीन हो या पाकिस्तान हो संभाल लो अपनी हद तक को आएंगे जब ये तीक्ष्ण हाथ गिर जाओगे ढह जाओगे हो सकता है इस नक़्शे में आज तो हो कल खो जाओगे #indianarmy #army #pmo #kashmir

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सुबह की सुंदर बेला में तुम आओ हम भी आएं आकाश से छलके अमृत तो तुम भी पीयो हम भी पिएं क्या रक्खा है इस कान्क्रीट में क्या रक्खा है इस पत्थर में रेती और बालू की दीवारों में क्या रक्खा हैछोड़कर घुटती चारदीवारी आ जाओ तुम वन उपवन मेंसुबह की सुंदर बेला में तुम आओ हम भी आएं इस अमृत वेला में गहरी सांस खींचकर

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13 अक्टूबर 2018
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