ईश्वर में प्रेम है
ईश्वर में प्रकाश है
प्रेम और वासना में फ़र्क़ बड़ा है
मेरा प्रेम स्वच्छ है श्वेत है निर्मल है
प्रेम में शांति है आशा है दया है
प्रेम भी उससे ही है जो खूब श्वेत है
नूर का प्रकाश भी उससे न तेज है
आँखों से निकलती सदा रौशनी प्रेम की
उसका भी प्रेम स्वच्छ है मेरा भी प्रेम स्वच्छ है
वासना निकृष्ट है
कुटिल है दूषित है
कपट भरी काल की रिश्तेदार है
मेरे पहुच से दूर है
क्योकि मुझमे प्रकाश है
प्रकाश के आगे क्या कोई अंधकार है ?