हिंदी के प्रति अपने अवबोध को सुधारिए
सामान्यतया हम जो भी वास्तविकता देखते हैं उसे अपने ज्ञान, विश्वास, संस्कार, प्रवृत्ति, मान्यताओं और आवश्यकता के आधार पर ढाल लेते हैं या मन में बसा लेते हैं या दिमाग में परिभाषित कर लेते हैं और उस वास्तविकता को उसी प्रकार व्याख्या कर समझते हैं| इसे हम नजरिया या दृष्टिकोण कहते हैं जिसे शुद्ध रूप से अवब