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बुरा वक़्त

16 नवम्बर 2015

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महावीर शर्मा की अन्य किताबें

महेश लाल श्रीवास्तव

महेश लाल श्रीवास्तव

वक़्त की मांग पर हर चीज उपयोगी है, हर भाव और हर हाल उपयोगी है। उपयोगी लोगों को वक़्त कहाँ कि वे मात्र दोस्ती के नाम पर साथ आएँ। ये तो हम हैं कि अपनी जरूरतो पर उन्हें ढूँढ़ लेते हैं। आपका नजरिया सर्वोत्तम है जो बुराइयों में भी अच्छाइयाँ ढूँढ़ लेते हैं।

18 नवम्बर 2015

वर्तिका

वर्तिका

बिलकुल सही फ़रमाया, महावीर जी!

17 नवम्बर 2015

16 नवम्बर 2015

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विश्व में भारत की पहचान

13 अगस्त 2015
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भारत के प्रधानमंत्री ने संयुक्त राष्ट्र संघ में अपनी बात हिंदी में रख कर और भारतीय विद्या योग की महत्ता जता कर विश्व समुदाय को आश्वस्त किया कि योग आज की आवश्यकता है और अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 21 जून को हर वर्ष मानाने का निर्णय करवाया| यह विश्व में भारत की पहचान स्थापित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कद

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रावतभाटा अणु नगरी के पास प्राकृतिक झरना - पाडाझर , यहाँ प्राकृतिक गुफा में प्राकृतिक शिवलिंग है जिस पर प्राकृतिक जल की बुँदे टपकती है|

13 अगस्त 2015
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आइए, देश के साथ चलें !

14 अगस्त 2015
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भारत की जनता ने देश को एक ऐसा प्रधानमंत्री चुन कर दिया जो स्वयं हिंदीतर भाषी है परन्तु अपने मन, विचार और कर्म से न सिर्फ अपने देश में बल्कि विदेश में भी बड़े ही आग्रह के साथ हिंदी का प्रयोग करते हुए विकास की लहर को और भी आगे बढाता चला जा रहा है| यह भारत का सौभाग्य है कि इस समय भारत का नेतृत्व एक ऐसे

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हिंदी के प्रति अपने अवबोध को सुधारिए

14 अगस्त 2015
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सामान्यतया हम जो भी वास्तविकता देखते हैं उसे अपने ज्ञान, विश्वास, संस्कार, प्रवृत्ति, मान्यताओं और आवश्यकता के आधार पर ढाल लेते हैं या मन में बसा लेते हैं या दिमाग में परिभाषित कर लेते हैं और उस वास्तविकता को उसी प्रकार व्याख्या कर समझते हैं| इसे हम नजरिया या दृष्टिकोण कहते हैं जिसे शुद्ध रूप से अवब

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कृष्ण जन्म की कथा

21 अगस्त 2015
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मेरे एक मित्र हैं, मार्क्सवादी विचारधारा के हैं| जब मैं उनके घर मिलने गया तो उनके पिताजी टीवी पर भागवत कथा सुन रहे थे| उन्होंने मेरा स्वागत किया और बिठाया| वे सेवानिवृत्त हो चुके थे| बातों ही बातों में उन्होंने बताया कि भागवत कथा में कृष्ण जन्म की कथा चल रही थी| स्वामी जी बता रहे थे कि जब संसार में

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कार्यालय में कार्य के कारण तनाव

16 नवम्बर 2015
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महावीर शर्मा हमारा शरीर ईश्वर प्रदत्त है और इसकी शारीरिकएवं मानसिक कार्यप्रणाली सर्वदा समस्थिति और संतुलन में रहने के लिए प्रेरित रहतीहै| यदि शरीर में कोई विजातीय और अवांछित तत्व या द्रव्य उत्पन्न हो जाते हैं या प्रवेश कर जाते हैं या गलती सेग्रहण कर लिए जाते हैं तो इसमें स्वाभाविक क्षमता होती है कि

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बुरा वक़्त

16 नवम्बर 2015
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अति सर्वत्र वर्जयेत

6 अप्रैल 2017
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