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आइए, देश के साथ चलें !

14 अगस्त 2015

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भारत की जनता ने देश को एक ऐसा प्रधानमंत्री चुन कर दिया जो स्वयं हिंदीतर भाषी है परन्तु अपने मन, विचार और कर्म से न सिर्फ अपने देश में बल्कि विदेश में भी बड़े ही आग्रह के साथ हिंदी का प्रयोग करते हुए विकास की लहर को और भी आगे बढाता चला जा रहा है| यह भारत का सौभाग्य है कि इस समय भारत का नेतृत्व एक ऐसे व्यक्ति के पास है जो भारतीय संस्कृति की सच्ची संवाहिनी “हिन्दी भाषा” को अपना कर देश को शीर्ष पर पंहुचाने के लिए तत्पर है| इस कार्य में अनायास ही हिंदी के लिए अनुकूल वातावरण बनता जा रहा है| प्रधानमंत्री के हाल ही के अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र संघ दौरे के दौरान हमें ऐसी कई घटनाएँ देखने को मिली जो हिन्दीप्रेमियों के लिए प्रसन्नता की द्योतक हैं| देश में उत्पन्न इस परिस्थिति और अवसर का लाभ हम सभी हिंदी प्रचारकों व हिंदी प्रेमियों को उठाना चाहिए और हिंदी को देश-प्रदेश में ही नहीं बल्कि विश्व पटल पर अग्रणी और प्रिय भाषा बनाने का प्रयास पूरे जोर-शोर से करना चाहिए परन्तु साथ ही यह भी ध्यान रखना अति आवश्यक होगा कि हमारे प्रयासों में भावातिरेक न हो बल्कि हिन्दी प्रचार के समय संवेदनशीलता और अपनत्व की भावना हो और हिंदी प्रचार को परभाषा निंदा न बनने दें| यहाँ तक कि अंग्रेजी भाषा के प्रति भी कोई दुराग्रह नहीं रखा जाना चाहिए; यही कुशलता और सफलता की कसौटी है। जो लोग हिंदी की वर्चस्ववादी विचारधारा रखते हैं, उनके प्रयास कितने ही अच्छे होते हुए भी हिंदी प्रचार-प्रसार में विपरीत प्रभाव डाल सकते हैं| कहते हैं न कि अति उत्साह भी काम बिगाड़ देता है| आज पूरे देश में परिवर्तन की हवा चल रही है, हिंदी को इस हवा का पूरा-पूरा लाभ उठाना है| हिंदी के लिए सभी में, यहाँ तक कि हिंदीभाषियों में भी अंतःप्रेरणा जगानी होगी ताकि हिंदीतरभाषी और अंग्रेजी-अभ्यस्त लोगों से विरोध को टाला जा सके| हम जो लोग न्यूक्लियर पॉवर कार्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड में कार्य कर रहे हैं, उन्हें अपने वैज्ञानिक और तकनीकी काम-काज में और आम जनता तक नाभिकीय प्रौद्योगिकी के लाभ पंहुचाने के लिए भी हिंदी को अधिक से अधिक आगे बढ़ाना है| तो आइए, इसी धारा में देश के साथ कदम से कदम मिलाकर हिंदी को आगे ले जाने में हम भी एक उपकरण बने और अपने-अपने स्तर पर जितना भी हिंदी प्रगति के लिए प्रयास कर सकते हैं, करें| जय हिंद, जय हिंदी|

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