आदतन झूठी अफवाह फैलाते है लोग ,
अपने घर दिए औरों के घर जलाते है लोग ।
इंसान बरसों से चाँद को पूज रहा है ,
अब उसी चाँद पर घर बनाते है लोग ।
संस्कार -संस्कृति की भाषा भूल चुके है ,
फैशन के नाम पर बदन दिखाते है लोग ।
महगाई को लेकर सरकार की बुराई करते है ,
जबकि परिवार नियोजन की खुद ही धज्जियां उड़ाते है लोग ।
एक दिल होता है ख्वाव -ए -हसरत लिए हुए ,
उसकी आरज़ू को भी कफ़न पहनाते है लोग ।
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