shabd-logo

संगति का असर

2 जून 2015

274 बार देखा गया 274
एक बार आइंस्टीन Relativity नामक Physics के टॉपिक पर रिसर्च कर रहे थे और इसी के चक्कर में वो बड़ी बड़ी यूनिवर्सिटीज और कॉलेज में जाते थे और लोगों को लेक्चर देते थे । उनका ड्राइवर उनको बहुत बारीकी से देखा करता था ।एक दिन एक यूनिवर्सिटी में सेमिनार ख़त्म करके आइंस्टीन घर लौट रहे थे , अचानक उनके ड्राइवर ने कहा – सर जो आप Relativity पर यूनिवर्सिटी में लेक्चर देते हो ये तो बहुत आसान काम है ये तो मैं भी कर सकता हूँ । आइंस्टीन ने हँसते हुए कहा – ओके ,चिंता ना करो तुम्हें एक मौका जरूर दूंगा ।फिर अगले दिन जब आइंस्टीन नई यूनिवर्सिटी में लेक्चर देने गए तो उन्होंने अपने ड्राइवर को अपने कपडे पहना दिए और खुद ड्राइवर के कपडे पहन लिए और ड्राइवर से लेक्चर लेने को कहा । उस बिना पढ़े लिखे ड्राइवर ने बिना किसी दिक्कत के बड़े बड़े प्रोफेसरों के सामने लेक्चर दिया, किसी को पता ही नहीं चला कि वो आइंस्टीन नहीं है । लेक्चर खत्म होते ही एक प्रोफ़ेसर ने उस ड्राइवर से कुछ सवाल पूंछे तो इस पर ड्राइवर ने कहा – इतना आसान सवाल, इसका जवाब तो मेरा ड्राइवर ही दे देगा । ड्राइवर के रूप में आइंस्टीन आगे आये और सारे सवालों का जवाब दिया ।बाद में आइंस्टीन ने सबको बताया कि लेक्चर देने वाला शख्स आइंस्टीन नहीं आइंस्टीन का ड्राइवर है तो वहां बैठे सभी प्रोफेसरों ने दातों तले उँगलियाँ चबा लीं किसी को यकीन नहीं हुआ कि जो Reletivity बड़े बड़े प्रोफेसरों को समझ नहीं आती इस ड्राइवर ने उसे कितनी आसानी से दूसरों को समझाया है ।इसे कहते है संगति का असर , आइंस्टीन के साथ रहकर एक बिना पढ़ा ड्राइवर भी इतना बुद्धिमान हो गया । मित्रों अच्छे विचार और अच्छी संगति इंसान में हिम्मत और सकारात्मकता का भाव लाती है , तो कोशिश करिये कि बुरे व्यसन, बुरी आदतों और बुरी संगति से बचा जाये फिर उसके बाद जीवन बहुत उज्जवल होने वाला है

रवि शंकर बाजपेयी की अन्य किताबें

ओम प्रकाश शर्मा

ओम प्रकाश शर्मा

रवि शंकर जी, लघु कथा बहुत अच्छी और प्रेरणादायी है, धन्यवाद !

2 जून 2015

शब्दनगरी संगठन

शब्दनगरी संगठन

अच्छे विचार और अच्छी संगति इंसान में हिम्मत और सकारात्मकता का भाव लाती है....उत्तम विचार !

2 जून 2015

1

मेरा भारत महान

22 जनवरी 2015
0
1
1

सारे जहां से अच्छा हिन्दुतान हमारा , हम बुलबुले है इसकी यह गुलसितां हमारा जय हिन्द जय भारत !

2

प्यारी माँ

26 जनवरी 2015
0
0
0

ईश्वर का दूसरा रूप माँ है

3

मेरे तीन अपराधो को छमा करो !

21 मई 2015
0
2
3

हे भगवान्, मेरे तीन अपराधो को माफ़ करो यह जानते हुए भी कि..1.तुम सर्वव्यापी हो, मैँ तुम्हेँ काशी, मथुरा, अयोध्या, केदार आदि मेँ खोजता हूँ, यह मेरा पहला अपराध है !2.तुम शब्दोँ से परे हो, मैँ तुमको शब्दोँ से बाँधता हूँ, एक नाम देता हूँ, यह मेरा दूसरा अपराध है !3.तुम सर्वज्ञाता हो, मैँ तुम्हेँ अपनी इच्छ

4

जहर क्या है ?

22 मई 2015
0
1
0

किसी ने भगवान को पुछा ” जहर क्या होता है ? ” भगवान ने बहुत सुन्दर जबाब दिया, ” हर वो चीज जो जिन्दगी मे आवश्यकता से अत्यधिक होती है, वही जहर होती है !

5

समझदारी

28 मई 2015
0
2
1

""छह गुलाबों का तोहफा""पत्नी ने अपने पति से आग्रह किया किवह उसकी छह कमियाँ बताए जिन्हें सुधारने से वह बेहतर पत्नी बन जाए. पति यह सुनकर हैरान रह गया और असमंजस की स्थिति में पड़ गया.उसने सोचा कि मैं बड़ी आसानी से उसे ६ ऐसी बातों की सूची थमा सकता हूँ , जिनमें सुधार की जरूरत थी और ईश्वर जानता है कि वह ऐ

6

एक सन्देश

28 मई 2015
0
3
2

गाँव में एक किसान रहता था जो दूध से दही और मक्खन बनाकर बेचने का काम करता था।एक दिन बीवी ने उसे मक्खन तैयार करके दिया वो उसे बेचने के लिए अपने गाँव से शहर की तरफ रवाना हुवा।वो मक्खन गोल पेढ़ो की शकल मे बना हुवा था और हर पेढ़े का वज़न एक kg था।शहर मे किसान ने उस मक्खन को हमेशा की तरह एक दुकानदार को बे

7

संगति का असर

2 जून 2015
0
3
2

एक बार आइंस्टीन Relativity नामक Physics के टॉपिक पर रिसर्च कर रहे थे और इसी के चक्कर में वो बड़ी बड़ी यूनिवर्सिटीज और कॉलेज में जाते थे और लोगों को लेक्चर देते थे । उनका ड्राइवर उनको बहुत बारीकी से देखा करता था ।एक दिन एक यूनिवर्सिटी में सेमिनार ख़त्म करके आइंस्टीन घर लौट रहे थे , अचानक उनके ड्राइवर ने

8

लोभ से अँधा

2 जून 2015
0
1
0

किसी नगर में एक दृष्टिहीन बाबा रहता था। उसकी आवाज बेहद सुरीली थी। एक बार एक अमीर ने उसके गायन से खुश होकर उसे कुछ गिन्नियां उपहार में दी। बाबा ने गिन्नियों की पोटली को अपनी कमर से बांध लिया। ठगों को जब उस बाबा के पास गिन्नियां होने के बारे में पता चला तो वे उसके पास पहुंचे और बोले - ' हमारे धन्य भाग

9

दुनिया आपको बदनाम न करे !

2 जून 2015
0
1
1

एक बार बादशाह नौशेरवां भोजन कर रहे थे। अचानक खाना परोस रहे बावर्ची के हाथ से थोड़ी सी सब्जी बादशाह के कपड़ों पर छलक गई। बादशाह की त्यौरियां चढ़ गईं।जब बावर्ची ने यह देखा तो वह थोड़ा घबराया, लेकिन कुछ सोचकर उसने प्याले की बची सारी सब्जी भी बादशाह के कपड़ों पर उड़ेल दी। अब तो बादशाह के क्रोध की सीमा न

10

आज का ज्ञान

2 जून 2015
0
1
2

1.जितना कमाएँ उससे कम खर्च हो ऐसी जिन्दगी बनायें 2. दिन में कम से कम 3 लोगो की प्रशंसा करें 3. खुद की भूल स्वीकारने में कभी भी संकोच न करें 4. किसी के सपनो पर कभी भी न हंसे 5. अपने पीछे खडे व्यक्ति को भी कभी आगे जाने का मौका दें 6. रोज उदय होते सुरज को अवश्य देखें 7. खूब जरुरी हो तभी कोई चीज उधार ले

11

सबसे बड़ा मुर्ख !

3 जून 2015
0
1
1

इन्सान को अंत तक बोध नहीं हो पाता की क्यों वे इस धरती में जन्मे है व क्या उन्हें करना है ? मखौल में ही जिंदगी काट देते है | एक साधू तीर्थ यात्रा पर निकले | मार्ग - व्यय के लिए किसी सेठ से कुछ माँगा , तो उसने कुछ दिया तो नहीं , पर अपना एक काम भी सौप दिया एक बड़ा दर्पण हाथ में थमाते हुए कहा - " प्

---

किताब पढ़िए