सूखा , वर्षा, त्रासदी , पानी के सब मूल ।जल का दोहन न करे , प्रकृति होगी प्रतिकूल ।।प्रकृति होगी प्रतिकूल ,पड़ेगा भयंकर सूखा ।वन, पक्षी और मानव , बूँद बूँद को तरसा ।।कहत कवी अनुराग , जल का करो संरक्षण ।प्रकृति होगी खुशहाल , सबका होगा रक्षण ।।
... देश में 33 करोड़ लोग आज सूखे की मार झेलने को मजबूर हैं और ऐसे आंकड़े हमारे प्रशासन पर ही नहीं, हमारे समाज पर सवाल खड़ा कर रहे हैं. देश के 660 जिलों में से 256 जिले सूखाग्रस्त हैं, तो भारत के 11 राज्यों ने खुद को सूखाग्रस्त इलाका घोषित भी कर दिया है. अकेले महाराष्ट्र के, 44 हजार में से 14 हजार ७०८
सिर को पकडे हुये अपनी बर्बाद फसल को कातर निगाहों से देखते हुये मैंने एक किसान से कहा कि चल उठ मन की बात ही सुन ले सुकून मिलेगा। वह उठा और अपने मन की जो सुनायी वह बयान करता हूँ---- बोला " कहाँ जाऊँ मैं अपनी यह बर्बाद फसल लेकर; सोचता हूँ मर जाऊँ इसी आम के पेड़ पर लटक कर; घर जाऊँ कैसे? मेरी बूढी माँ