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सपनो से आगे सपनो से परे हमारा कश्मीर -

24 फरवरी 2023

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सपनो से आगे, सपनो से परे-  'हमारा कश्मीर'

अपनी कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के बाद सिद्धार्थ को अच्छी जॉब  मिल गई थी... वह बहुत खुश था... नई जॉब ज्वाइन करने से पहले सिद्धार्थ का मन था की कहीं सैर पर जाया जाए....  स्कूल, कॉलेज का समय उसका पढ़ाई और करियर बनाने की फ़िक्र  में गुजरा था, उन दिनों वह हमेशा अपने मन को समझाता रहा की घूमने के लिए ज़िन्दगी पड़ी है, पहले करियर जरूरी है...
अब जॉब मिल गई तो सिद्धार्थ के मन में सुकून था ... जोइनिंग डेट से पहले उसने घूमने के लिए  कश्मीर जाना प्लान किया... कश्मीर की सुंदर वादियाँ वैसे भी हमेशा से उसे लुभाती रही थीं...

सिद्धार्थ एक हैंडसम लड़का था... और अब जॉब मिलने से उसे कॉन्फिडेंस भी था... उसने कश्मीर के लिए अपनी  टिकिट बुक कराई और वहां  पहुंच गया। ... कश्मीर हालांकि अब पहले की तरह सुरक्षित नहीं था  पर, यहाँ की सुंदर वादियां, ऐसी  सब बातों से परे सिद्धार्थ का ध्यान अपनी तरफ खींच रहीं थीं... सिद्धार्थ भी इन वादियों में इस तरह खो गया जैसे इसके बाहर और कोई दुनिया है ही नहीं । .... उसके होठों पर  स्वतः ही गीत उभर कर आ गया  - इन हसीन वादियों से दो-चार नज़ारे चुरा लें तो चलें ।  
कश्मीर में पहलगाम , बेताब वैल्ली और चंदनवाडी घूमने के बाद सिद्धार्थ  श्रीनगर पहुंचा जहाँ उसकी मुलाक़ात सपना नाम की एक लड़की से हुई। ... सपना  एक अच्छी फोटोग्राफर थी , कश्मीर के सुन्दर नज़ारे अपने कैमरे में कैद करने के लिए वह भी यहाँ सैर पर आई थी। .... एक ऊंची  पहाड़ी पर चढ़कर  सपना फोटोग्राफी कर रही थी, तभी उसका पैर पहाड़ी से फिसला और उसे संभालने वाला वहां कोई था तो सिद्धार्थ।  सिद्धार्थ के सहारे से सपना उस पहाड़ी से फिसलते फिसलते बची। ... सपना ने घबराते हुए सिद्धार्थ को थैंक्यू बोला, सिद्धार्थ बोला फोटोग्राफी अच्छा शौक है पर, थोड़ा संभलकर ... यहाँ ऐसे कई नजारे हैं की आप अपनी सुध-बुध खो दें.... सपना मुस्कुराई और फिर दोनों काफी दूर तक बातें करते साथ चलते रहे।

सिद्धार्थ बोला- सुना है श्रीनगर में डल झील घूमे बिना कश्मीर की सैर अधूरी है। ... सपना बोली - हाँ ! शाम होने में अभी २-३ घंटे बाकी हैं,  मैं भी बस वहीं जा रही हूँ , शाम के बाद तो वहां वैसे भी सब बंद सा है , उजाले उजाले में जितना घूम लो, घूम लो ...

डल झील पर  पहुंचकर  सिद्धार्थ अपने घूमने के लिए शिकारा बुक कराने लगा, वहीं सपना भी अपने लिए शिकारा  खोज रही थी किन्तु उस समय वहां एक ही शिकारा  उपलब्ध था... दोनों ने तब मिलकर एक ही शिकारा बुक  किया और साथ ही  सैर पर चल दिए.... कुछ और बातें हुईं तो सिद्धार्थ को पता चला की सपना भी उसी के गाँव से है।

तीन तरफ पहाडियों से घिरी डल झील वाकई बहुत खूबसूरत थी और भी फनी था झील पर सैर कराने के लिए उन्होंने जो शिकारा बुक किया था उस  शिकारे को खेने वाला खिवैया। .. वह झील का गाइड तो था ही साथ ही अपनी भाषा के मधुर गीत भी गाकर सिद्धार्थ और सपना के इस झील में घूमने का आनंद दो गुना कर रहा था, वह गीत ऐसे गा  रहा था की उसके साथ ही सिद्धार्थ और सपना का मन भी गाने का हो गया, उन दोनों ने भी खूब गीत गाकर झील में घूमने के आनंद को चौगुना किया ।  सपना जहाँ झील के सुंदर  नज़ारे अपने कैमरे में कैद करती जा  रही थी वहीँ सिद्धार्थ भी इन नजारों में खोया था.... इस झील से ही जुड़ी चार और झीलें थीं गगरीबल , लोकुट लेक , नागिन लेक और बोड डल... अद्भुत नजारा था यहाँ का।  बीच बीच में कई द्वीप भी यहाँ दिखाई दिए जो झील में तैरती जमीनों की  तरह थे।  

शिकारे पर घूमते हुए सिद्धार्थ और सपना काफी अच्छे दोस्त बन चुके थे। सपना तो जैसे अपने सपनो में खो चुकी थी वह  सिद्धार्थ से बोली, काश मेरा घर यहीं होता,  मैं हमेशा हमेशा के लिए यहाँ बस जाना चाहती हूँ... अत्यंत रोमांचित थी वह यहाँ आकर , इस झील में स्कूल भी हैं, बस्ती भी, बाजार भी और तो और  पोस्ट आफिस भी हैं यहाँ। ... सिद्धार्थ बोला सपना! एक बात बताओ यदि इस झील में बाढ़ आ जाए तो क्या हाल होता होगा.... और तभी सच में वहां बाढ़ जैसा माहौल हो चुका था, वहाँ सजी दुकानों में भी पानी आने लग गया था ....

कुछ ही देर में सूर्य भी ढलने लग गया , सपना ने झील में सूर्यास्त के सुंदर नज़ारे अपने कैमरे में कैद किये और सूर्य डूबने से पहले सही समय पर उनका शिकारा  किनारे पर आ गया...
झील के किनारे लकड़ी के बने सुन्दर  हाउसबोट (Houseboat)   थे...  अंदेशा बाढ़ का था, झील में पानी का स्तर बढ़ रहा था, सपना और सिद्धार्थ ने रात में रुकने के लिए अपने अपने लिए एक एक हाउसबोट बुक किया। .... रात को नजारा कुछ और ही था, झील में पानी का स्तर काफी ऊँचा था तब और भी रोमांचक सफर शुरू हुआ सिद्धार्थ और सपना का.... जैसे जैसे  समुद्र का पानी ऊपर आया हाउस बोट भी पानी के साथ कुछ ऊपर हो गए....  

सपना और सिद्धार्थ ने हालांकि पहली बार ऐसे नज़ारे देखे थे....  पर, यहाँ रहने वाले कई पर्यटक ऐसे थे जो शायद अनुभवी थे, वे इस परिस्थिति में डरे नहीं बल्कि इसका आनंद ले रहे थे , उन्हें देखकर सिद्धार्थ और सपना का भय कुछ कम हुआ, उन्होंने किसी से पूछा तो पता चला की हाउसबोट में घबराने जैसी कोई बात नहीं है, यदि झील में बाढ़ भी आ जाए तो इसके अंदर हम सेफ हैं। ....  तब सिद्धार्थ और सपना भी अब  हाउसबोट से झील में उठती लहरों का आनंद लेने लगे । ... कुछ घंटों बाद लहरें आहिस्ता आहिस्ता शांत हो चली थीं, कश्मीर की कंपकंपाने वाली ठंड में भी अपने अंदर गर्माहट लिए हाउसबोट अपनी आलीशानता से जगमगा रहे थे .... बहुत ही आरामदाई और खुशनुमा था वहां सब कुछ .... एक पांच सितारा होटल की तरह थे अंदर से उनके हॉउसबोट जिनमे खाने-पीने से लेकर सोने की भी व्यवस्था थी... रात ढलने लगी थी और एक सुन्दर सपने सा सच आँखों में बसाये सिद्धार्थ और सपना अब उन मनमोहक हाउसबोट में सोने चले थे जो स्वयं किसी सपने से कम नहीं थे ...

अगले दिन सपना और सिद्धार्थ की वापसी की टिकिट साथ ही थी.....  इस सुहाने सफर में सुहाने साथी को पाकर दोनों बहुत खुश थे...  वापस जाते जाते उनके अधरों पर एक ही गाना था ...

कितनी खूबसूरत ये तस्वीर है
मौसम बेमिसाल बेनज़ीर है
ये कश्मीर  है ये कश्मीर है

पर्वतों के दरमियाँ हैं
जन्नतों की तरमियाँ हैं
आज के दिन हम यहाँ हैं
साथी ये हमारी तकदीर है

कितनी खूबसूरत ये तस्वीर है
ये कश्मीर  है ये कश्मीर है।

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Story : Amrita Goswami
Freelance writer
Jaipur (Rajasthan)

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