मैं एक अद्यापिका रही हूँ . मुझे लिखने का शौक अपने पिताजी से प्राप्त हुआ . मेरी रुचि आध्यात्मिक तथा बच्चों के साहित्य में है .
निःशुल्क
बाबा नंद सिंह साहिब ने वचन शुरु किए- राज है जी राज। राजा बड़ा धरमी है। राज में व्रत का पालन हो रहा है, सारी प्रजा ने व्रत रखा हुआ है। वजीर ने आकर शिकायत की कि- एक घर से धुआँ निकल रहा ह
एक गरीब कारीगर सिंह ने लोहे का एक लोटा बनाया और बाबा नन्द सिंह जी महाराज जी के चरणों में पेश करने के लिए ठाठ पर पहुँचा। संगत में बैठ कर गुरु नानक पातशाह की इलाही शान का आनंद मान रहा है परन्तु उस इलाही