दिल्ली के मेंटल हॉस्पिटल में हाल ही में एक नई मरीज एडमिट हुई थी। जिसके पागलपन से पूरा हॉस्पिटल हैरान था वह खुद को ही चोट पहुंचाती थी वह खुद को ही इंजेक्शन लगा लेती थी या खुद के बाल खिंचती थी और जब तक उसके बालों से खून नहीं निकलता वह ऐसा करती रहती थी। उसकी बीमारी देख कर अंदर से सूर्य कुमार वर्मा टूट रहा था। इतनी खुबसूरत दिखने वाली शालिनी आज बेजान शरीर का ढांचा बन गई थी सूर्यकुमार वर्मा जिसे शालिनी प्यार से शीनू बुलाती थी। सूर्यकुमार वर्मा शालिनी से अपनी जान से ज्यादा प्यार करता था। शालिनी की आदत थी कि वह हमेशा सूर्यकुमार को तंग किया करती थी। जिसे सूर्यकुमार पागल बुलाता था आज वह सच की पागल हो गई थी। सूर्य कुमार की आंखों से आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे। शालिनी की ऐसी हालत सूर्यकुमार से देखी नहीं जा रही थी उसे अब उसकी बहुत याद आती वह उसका चेहरा देखते-देखते अपने अतीत में चला जाता है।
अभी कुछ ही दिन पहले शालिनी का जन्मदिन था जिसे सुर्य कुमार उसे मनाने के लिए एक मॉल में लेकर गया था। वह एक ₹10000 की छोटी सी जॉब करता था जिसके पैसों से वह अपना खर्चा निकलता और बचे पैसों से शालनी को गिफ्ट दिया करता था शालिनी भी उससे बहुत प्यार करती थी वह उसकी हालत समझती थी इसीलिए वह मॉल में पहुंचकर बोली, क्या सीनू तुम मुझे कहां पर ले आए? सूर्य कुमार ने कहा हमारे प्रेमिका के जन्म दिवस के शुभ अवसर पर प्रेम मिलन करने के लिए इससे अच्छी जगह और कौन है प्रिय। शालिनी बोली क्या यार तुम ऐसी कौन सी भाषा में बात कर रहे हो मुझे नहीं समझ में आ रही है सही से बोलो ना सूर्यकुमार हंसने लगा और बोला यार आज तो तुम्हारा बर्थडे और आज हम इसलिए तो मॉल में आए हैं। शालिनी सूर्यकुमार की हालत समझती थी वह जानती थी कि उसके पास इतने पैसे नहीं है और खुद के खर्चे से मेरा बर्थडे मना रहा है इसलिए वह बोली देखो सूर्यकुमार मॉल मे में तुम्हारे पास फोटो खींचने के लिए आई हूं मुझे ना मॉल से शॉपिंग करना पसंद है और ना ही महंगे होटल में खाना खाना। मैं तुम्हारे साथ करोल बाग की गलियों के गोलगप्पे में ही खुश हूं चलो वहीं चलते हैं और अच्छे से जमकर खाएंगे आज। यह सुनकर सूर्यकुमार की आंखों में आंसू आ गए उसने कहा काश शालिनी मैं भी तुम्हें तुम्हारे जन्मदिन पर महंगे तोहफे दे सकता तब शालिनी ने कहा इसमें उदास होने वाली कौन सी बात है तुम आज नहीं तो क्या एक न एक दिन बड़े आदमी जरूर बनोगे और यह मेरा विश्वास है एक दिन मेरा सीनू मेरा हर एक सपना पूरा करेगा और मुझे हर खुशी देगा मैं तुम्हारे साथ छोटी-छोटी खुशी में खुश हूं और मुझे कुछ नहीं चाहिए चलो आओ स्माइल करो और फोटो खींचे। फोटो खींचकर वह लोग वहां से निकल गए और एक गोलगप्पे की दुकान पर आकर रुक गए वहां उन्होंने गोलगप्पे खाए। सूर्यकुमार की नजर एक लाइब्रेरी पर गई उस पर लिखा था रीडर लाइब्रेरी सूर्यकुमार को किताबें पढ़ने का शौक था इसीलिए उसने शालिनी से कहा चलो ना शालू वहां पर चलकर बुक्स पढ़ते हैं इससे हमारा समय भी कट जाएगा। शालिनी उसे किसी भी काम के लिए मना नहीं करती थी इसलिए हां मैं हां मिलाते हुए वह दोनों उसके अंदर चले गए। अंदर जाकर उन्होंने बहुत सारी किताबें देखी पर सूर्य कुमार की नजर एक किताब पर जाकर रुक गई उस किताब का कवर इतना आकर्षित था कि वह उसे अपनी नजर नहीं हटा पा रहा था वह उस किताब से सम्मोहित सा हो गया था इसीलिए वह उसे पढ़ने के लिए बेताब हो गया लेकिन शाम होने को थी इसीलिए शालिनी ने कहा इसे रहने देते हैं फिर कभी आकर पढ़ेंगे सूर्य कुमार ने कहा नहीं मुझे किताब पढ़नी है उसकी जिद देखकर शालनी ने बुक खरीद ली और दोनों घर चले गए। पर घर जाकर दोनों आपस में बातें करने लगे और उसे किताब के बारे में भूल गए। अगले दिन सूर्यकुमार काम जॉब पर चला गया और शालिनी घर पर अकेली थी तभी उसकी नजर उसे किताब पर गई उसने अपने मन में कहा देखो इस पागल को कल जिद करवा कर किताब ले ली और अब इसके बारे में भूल गया शाम को आने दो बताऊंगी अच्छे से। पर जरा मैं भी तो देखूं कौन सी किताब है यह शालिनी ने उसे किताब का कवर पेज देखा जिस पर लिखा था निलावंती........
शेष अगले भाग में..