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शायरी

22 अगस्त 2022

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"मुख़ालिफ़त जो होने लगी,वाह-वाही पर कोई नहीं लिखता

मूर्ख़ता जब ख़बर है इस जहां में,दानाई पर कोई नहीं लिखता..

क्या तुम क्या मैं,क्या ये क्या वो,क्या तेरी दुनिया क्या मेरी दुनिया

सब झूठ है,सच ये है कि अब किसी सच्चाई पर कोई नहीं लिखता.."

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