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इश्क बेहिसाब

26 सितम्बर 2022

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रोहन हॉस्टल की सीढ़ीयों पर चढ़कर अंदर जा रहा है तभी रोहन का ध्यान आलोक पर गया और रोहन ने पीछे मुड़कर पूछा।- क्या हुआ आलोक? तू रुक क्यों गया।

आलोक ने हॉस्टल के ऊपर छात्रावास -1 लिखा देख उस पर से नजर हटाकर रोहन की देखकर बोला।- कुछ नहीं बस देख रहा था की बाहर से हॉस्टल कैसा दिखाई देता है।

रोहन आलोक के पास आकर बोला।- बाहर से क्या देखना? बाहर तो सभी हॉस्टल एक जैसे ही दिखाई देते है लेकिन हर हॉस्टल की कहानी उसके अंदर छुपी होती है।

आलोक सीढ़ीयों पर चढ़ते हुए बोला।- कैसी कहानी?

रोहन ने जवाब दिया।- जब तू यहाँ आ ही गया है तो वो भी पता चल ही जाऐगा। बस अभी तू रूम में चल!

रोहन इतना बोलकर रूम की ओर चलने लगता है, और पीछे-पीछे आलोक भी।

आह! बहुत थक गया हूँ यार और भूख भी लगी है !- आलोक बेड पर लेटते हुए बोला। 

आलोक पहले फ्रेश हो जा, फिर कुछ कैंटीन में खाने चलते है वैसे भी मैने भी सुबह से कुछ नहीं खाया है ।- रोहन आलोक का सामान अलमारी में रखते हुए बोला॥

सुबह से कुछ नहीं खाया से तेरा क्या मतलब? व्रत है क्या तू आज।- आलोक रोहन की ओर देखकर बोला।

अरे नहीं यार। आज जब मैं जागा तब तक मेस बंद हो चुकी थी और कैंटीन जाने की हिम्मत नहीं हुई अब तू आ गया है तो साथ में चलते है।- रोहन भी बेड पर बैठते हुए बोला।

लगता है फिर तो मुझे जल्दी से फ्रेश होना पड़ेगा! और वैसे भी मैं नहीं चाहता की तेरे भूखे रहने का पाप मुझे लगे।- आलोक बेड से उठते हुए बोला। 

आलोक बाथरूम चला गया और कुछ देर बाद लौटा।

मेरा वो वाला बैग देना।- आलोक ने रोहन से इशारा करते हुए कहा।

रोहन ने आलोक का बैग उठाकर दे दिया। जिसमें से आलोक ने एक टॉवल निकाली और अपना मुँह पोछने लगा। 

रोहन तेरे साथ और कौन रहता है।- आलोक ने खुद को शीशे में देखते हुए पूछा।

कोई नहीं क्यों?- रोहन ने सवाल और जवाब दोनो एक साथ किए। 

कुछ नहीं!।.. फिर वो दूसरा बेड किसका है? - आलोक रोहन की ओर देखकर बोला।

अरे वो। वो मेरे एक दोस्त का है जो पहले मेरे साथ इसी रूम में रहता था लेकिन ।- इतना बोलकर रोहन चुप हो गया।

लेकिन! लेकिन क्या रोहन?- आलोक ने जिज्ञासा से पूछा।

अरे छोड़ ना वो सब, फिर कभी उसके ऊपर बात करते है,अभी ना मुझे बहुत जोरो की भूख लगी है चल कैंटीन चलते है!- रोहन ने आलोक के सवाल से बचते हुए अपनी बात को घुमा दिया।

अच्छा ठीक है बस दो मिनट, बाल सभाल लूँ।- आलोक बालों को अपने हाँथ से ठीक करते हुए बोला!

दोनो रूम से बाहर निकल आये और कैंटीन की तरफ चले गये।

अच्छा रोहन फिर तो मैं तेरे साथ रह सकता हूँ।-आलोक ने हॉस्टल से बाहर निकलकर पूछा।

इसमें पूछने वाली क्या बात है ऑफकोर्स तू मेरे साथ रह सकता है।- रोहन ने खुश होकर कहा और आलोक के कंधे पर अपना दाँया हाँथ रख लिया।

दोनो कैंटीन की एक टेबल पर बैठ गये और दो सैंडविच और दो कोल्डड्रिंक ऑर्डर कर दी।

यार कॉलेज की कैंटीन तो किसी five star Hotel से कम नहीं है।- आलोक कैंटीन में अपनी नजरें दौड़ाते हुए बोला।

अगर ये कैंटीन FIve star hotel की तरह नहीं रखेंगे,तो ये जानते है की स्टूडेंट्स बाहर जाने लगेंगे, जिससे उन्हे काफी नुक्सान होगा।- रोहन ने आलोक की तरफ देखते हुए कहा।

तब तक एक लड़का सैंडविच और कोल्डड्रिंक ले आया और टेबल पर रख कर चला गया।

रोहन बिना कुछ कहे खाने पर लग गया, रोहन को देख आलोक ने भी ख़ाना शुरू किय।

और बता तेरी पढ़ाई-बढ़ाई कैसी चल रही है?- आलोक ने कोल्डड्रिंक पीने के बाद कहा।

बढ़िया हमेशा की तरह क्लास में फर्स्ट नहीं तो फोर्थ भी नहीं।- रोहन ने टिशू पेपर से अपना मुँह पोंछते हुए जवाब दिया।

हमेशा की तरह तेरी गाड़ी आज भी सेकंड और थर्ड पर ही लटकी है।- आलोक ने हँसकर कहा।

भाई ये यूनिवसिर्टी है टेन्थ या ट्वेल्थ की क्लास नहीं, यहाँ ज्यादातर स्टूडेंट्स CBSE Board से है, तो उनके लिये आसान है। मेरे और तेरे जैसो के लिये नहीं ।- रोहन ने खुद को और आलोक को एक जैसा बताने की कोशिश करते हुए कहा।

हाँ यार तू ये बात तो सही कह रहा है, फिर भी कोशिश तो करनी चाहिए फर्स्ट आने लिये।-आलोक, रोहन की बात से सहमत होते हुए बोला।

कुछ देर के लिये दोनो चुप हो गये फिर आलोक बोला।- और कोई गर्लफ्रेंड बनी या अभी तक सिंगल है।

अभी तक सिंगल ही हूँ।- रोहन ने जवाब दिया।

क्या तू अभी तक सिंगल है। वो भी यहाँ जन्हा जिधर नजर दौड़ा दे उधर लड़कियों का मेला लगा है।- आलोक बीच में ही बोल पड़ा।

तू पहले मेरी पूरी बात सुनेगा भी या फिर अपनी ही कहता रहेगा।- रोहन ने अपना सैंडविच खत्म करते हुए कहा।

अच्छा ठीक है अब बीच में नहीं बोलूंगा। तू अपनी बात जारी रख।- आलोक ने माफी मागते हुए कहा!

हाँ मानता हूँ की अभी सिंगल हूँ, लेकिन मेरा भी रेड सिंगनल बस ग्रीन होने ही वाला है।- रोहन ,आलोक से नजरें चुराते हुए बोला।

क्या?- आलोक इतनी तेजी से बोला की सबका ध्यान आलोक की तरफ चला गया! " सॉरी-सॉरी हम बस आपस में बात कर रहे है। " आलोक ने अपने चारो तरफ देखकर कहा।

क्या यार तू भी देखता नहीं है की हम कहाँ बैठे है।- रोहन आलोक की ओर देखकर बोला।

क्या करूं तेरे ग्रीन सिग्नल के चक्कर में मैने रेड सिंगनल को पार कर दिया, भूल गया था की हम कहाँ बैठे है। लेकिन सच में मैं बहुत खुश हूँ की अब तुझे भी ..आलोक ने खुश होकर कहा!

आलोक की बात खत्म होने से पहले ही रोहन बीच में बोल पड़ा।- ज्यादा खुश मत हो, अभी सिर्फ मेरी तरफ से पहले हुई है उधर से जवाब आना बाकी है।

मुझे उम्मीद है जवाब जरूर आयेगा।- आलोक ने अपनी कोल्डड्रिंक खत्म करते हुए कहा।

दोनो उठ खड़े हुए। और रोहन आलोक के पास जाकर बोला।- और वो जवाब कब आयेगा।

बहुत जल्दी।- आलोक ने चलते-चलते जवाब दिया।

इस बार रोहन सिर्फ मुस्कुरा दिया कुछ बोला नहीं।

कितने पैसे हुए भइया।- रोहन ने कैंटीन वाले से पूछा।

सत्तर रुपए!- कैंटीन वाला बोला!

रोहन ने सत्तर रुपए निकाल कैंटीन वाले को दे दिये और दोनो कैंटीन से बाहर आ गये।

आलोक जूते उतार बेड पर लेट गया! और मोबाइल निकाल उसमें कुछ करने लगा।

इधर रोहन खुद को शीशे में खड़ा देख रहा था और कुछ धीरे-धीरे गुनगुना रहा था।

कुछ गाने अपनी पहली डेट के लिये बचाकर रख सारे आज ही गा लेगा फिर वहाँ क्या गजलें गाकर इम्प्रेस करेगा।- आलोक अपने फोन में नजरें गड़ाये बोला।

अब मैं बिल्कुल चुप ही रहूंगा कुछ नहीं बोलूंगा, कुछ नहीं।- रोहन भी बेड पर बैठते हुए बोला।

जब रोहन कुछ नहीं बोला तो आलोक से रहा नहीं गया बोल पड़ा।- कुछ तो बोल यूँ चुपचाप क्या बैठा है?

रोहन चुप रहा उसने कोई जनाब नहीं दिया।

आलोक अपने मोबाइल में लगा रहा।

अगले दिन आलोक कॉलेज जाने के लिये तैयार हुआ। आलोक ने ब्लैक पैंट और हल्की ग्रे कलर की शर्ट पहनी हुई है, जिसमें आलोक हमेशा से बहुत स्मार्ट लगता है।

आलोक को शीशे में देख रोहन बोला।- लग रहा है बिजली पहले ही दिन गिरने वाली है।

तो तू चाहता है की मैं ऐसे ही बिना कपड़ो के कॉलेज जाऊँ।- आलोक ने रोहन ओर मुड़कर बोला।

ये मैने कब कहा?- रोहन ने कहा।

मतलब तो तेरा यही था, फिर चाहें कहा ना हो।- आलोक अपनी शर्ट को संभालते हुए बोला।

कुछ भी। तू खुद से कुछ भी सोच लेता है और मैं तुझसे क्यों कहूँगा की तू कॉलेज बिना कपड़ो के जा! हाँ वैसे अगर तेरा मन है तो तू।- रोहन ने आलोक से मजाक करते हुए कहा।

अब तुझे देर नहीं हो रही है । आलोक बोला।

अबे हाँ चल। और वैसे भी तुझे भी तो तेरा क्लास दिखाना फिर मुझे अपने क्लास में टाईम पट पहुंचना है ।- रोहन ने अपना बैग लेते हुए कहा!

दोनो कमरे से बाहर निकल आऐ और हॉस्टल से नीचे आ गये! दोनो कॉलेज जा रहे होते है तभी पीछे से एक लड़के रोहन को आवाज देता है। 

रोहन पीछे मुड़कर देखता है तो उसी के क्लास का अभय होता है, रोहन उसके पास आने पर पूछता है।- हाँ अभय बोल क्या बात है?

अबे कोई बात होगी तभी मैं तुझे आवाज दूंगा।- अभय ने चलते हुए कहा।

नहीं यार मैने ऐसा कब कहा ?- रोहन ने अपनी गलती मानते हुए जवाब दिया।

अच्छा ये तेरा वही दोस्त है ना जिसके बारे में तू बता रहा था।- अभय आलोक की तरफ देखकर बोला।

हाँ ये आलोक है।- रोहन ने आलोक की ओर देखकर अभय को बताया।

अभय ने आलोक से हाँथ मिलते हुए हाय कहा।

और आलोक ये है अभय, यहाँ सबसे पहले मैं इससे ही मिला हाँ और सबसे पहले दोस्ती भी इसी से हुई।- रोहन ने अभय को आलोक से इंट्रोड्यूस करते हुए बताया ।

आलोक और अभय दोनो ने आपस में हाँथ मिलाए और एक दूसरे के बारे में पूछा। 

तुम दोनो एक ही क्लास में हो क्या?- आलोक ने रोहन से पूछा।

हाँ हम दोनो एक ही क्लास में है ये अभय मेरे क्लास का सबसे इंटेलिजेंट स्टूडेंट है।- रोहन ने अभय की तरफ करते हुए जवाब दिया।

तब तो तेरा सही है रोहन तुझे कभी कोई डाउट होता होगा तो तू अभय से डिस्कस कर लेता होगा।- आलोक ने भी अभय की तारीफ की।

बातें करते-करते कब रोहन और अभय की क्लास आ गई उन्हे पता ही नहीं चला! क्लास में अंदर घुसते हुए अचानक से रोहन बोला!।- हम तो तुझे बातो-बातों में अपनी क्लास में ले आऐ! रुक अभी चलता हूँ।

हम्म!- बोल आलोक रोहन की क्लास को चारो ओर देखने लगा।

चले!- रोहन ने आलोक से कहा।

हाँ।- आलोक ने जवान दिया।

रुको दोस्तों मैं भी साथ में चलता हूँ और इसी बहाने आलोक की क्लास भी देख लूँगा ।- अभय ने आलोक और रोहन से कहा ।

तीनो साथ में हो लिये और आलोक की क्लास की ओर चल दिये।

आलोक रोहन और अभय से जूनियर नहीं था।किसी कारण से काउंसिल कुछ दिनों लेट हुई थी ।जिसकी वजह से आलोक लगभग एक महीना रोहन से लेट हो गया था । रोहन की क्लासिस भी चलने लगी थी।

अभय अपने क्लास में सबसे इंटेलिजेंट स्टूडेंट था और ये उसने सिर्फ एक महीने में ही अपने क्लास के बाकी स्टूडेंट्स को बता दिया था। हाँ अभय थोड़ा मोटा जरूर है या कह सकते है की कुछ ज्यादा ही मोटा है। जिसकी वजह से क्लास में कुछ लड़के और लड़कियां उसका मजाक उड़ाया करते है। जिसकी वजह से अभय कभी-कभी चिढ़ भी जाता है ।लेकिन रोहन उसे समझा दिया करता है।

हॉस्टल नंबर एक में रोहन फर्स्ट फ्लोर पर रहता है वहीं सेकंड फ्लोर पर अभय रहता है। दोनो एक ही हॉस्टल में रहते है। 

आ गया तेरा भी क्लास आलोक।- रोहन ने क्लास के बाहर रुकते हुए कहा।

तो ये है मेरा क्लास।- आलोक ने अपनी क्लास की ओर देखकर कहा।

हाँ।- रोहन ने जवाब दिया।

वैसे मैने सुना है,की इस क्लास में लड़कियाँ लड़को से ज्यादा है।- अभय के चेहरे से खुशी झलक रही है।

ये बात तो अच्छी है।- आलोक ने कहा।

अभय हम चले।- रोहन अभय की तरफ देखकर बोला।

क्यों इतनी जल्दी क्या है।- आलोक ने मजाक करते हुए कहा।

मैं तेरी गर्लफ्रेंड नहीं हूँ जो कहेगा की थोड़ी देर और रुक जाओ ना प्लीज प्लीज।- रोहन हँसते हुए बोला।

तुझ जैसी नखरे वाली गर्लफ्रेंड मुझे चाहिए भी नहीं।- इस बार आलोक के साथ रोहन और अभय भी हँस दिये।

हाँ वो तो टाईम आने पर ही पता चलेगा।- रोहन ने कहा।

इस बार आलोक कुछ नहीं बोला चुप रहा। कुछ देर बाद रोहन ने फिर से कहा ।- अभय हम चले या फिर ..

हाँ-हाँ क्यों नहीं ?- अभय ने जवाब दिया।

बेस्ट ऑफ लक आलोक। - अभय और रोहन दोनो ने एक साथ कहा।और फिर दोनो वहाँ से चले गये।

आलोक अपनी क्लास में गया और देखा की कुल मिलाकर लड़के और लड़कियां मुश्किल से दस होंगे।

अभय तो बोल रहा था की मेरी क्लास में लड़कियां ज्यादा है लड़को से, लेकिन यहाँ तो ना लड़कियां ज्यादा है और ना ही लड़के।-आलोक चेयर पर बैठ गया ।

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गोमती एक्सप्रेस की रफ्तार धीमी होने लगी, और धड़-धड़ की आवाज भी धीमी होती जा रही थी, मतलब साफ है की स्टेशन आ गया है या आने वाला है। ट्रेन की रफ्तार धीमी होती जा रही थी और आलोक की धड़कने तेज, क्योंकि जब भी आलोक कहीं जा रहा होता है बस से हो, ऑटो से हो या फिर ट्रेन से इन सभी की धीमी रफ्तार होने से आलोक की धड़कने तेज होने लगती थी! आलोक ने दरवाजे से देखा तो आगे स्टेशन दिखाई दिया जैसे-जैसे स्टेशन पास आ रहा था ठीक वैसे ही स्टेशन का नाम और भी साफ-साफ दिखाई दे रहा था ! ट्रेन जब स्टेशन पा आ चुकी थी तो स्टेशन की दीवारों और बड़े बोर्ड पर साफ-साफ स्टेशन का नाम लिखा था इटावा! हाँ यही नाम है स्टेशन का इटावा ! ट्रेन रुकी इसी के साथ आलोक की धड़कने भी पहले की जैसी नॉर्मल हो चुकी थी! ट्रेन के रुकने के बाद आलोक tre. से नीचे उतरा और स्टेशन से बाहर निकलकर इधर-उधर ऑटो देखने लगा! आलोक 21साल का नौजवान था जो अपनी जिन्दगी में पहली बार इटावा आया हुआ है, वैसे मैं बता दूँ की आलोक औरैया जिला का रहने वाला है जो कभी इटावा का ही हिस्सा हुआ करता था लेकिन अब औरैया का अपना एक अलग अस्तित्व है! आलोक के घर से इटावा की दूरी कोई 100 किमी के आसपास होगी ,इसके बावजूद आलोक कभी भी इटावा नहीं आया था, आता भी क्यों जब कोई काम हो तभी तो आयेगा! आप ही सोचिए की कोई बिना काम से कहीं क्यों जाने लगा हम्म! क्या जाते बिना किसी काम से बाहर नहीं ना! आलोक स्टेशन से बाहर आने के बाद इधर-उधर देखने लगा, लेकिन उसे समझ नहीं आता है की जाना किधर है! स्टेशन के बाहर आते ही ऑटो और बस खाड़ी मिलेगी, ये बात आलोक के दोस्त ने बताई थी जिससे की सवारी आलोक को आसानी से मिल जाये, और हाँ ऑटो सैफई तक जाते है और बस सैफई होते हुए मैनपुरी की ओर निकल जाती है, आलोक तिराहे पर आकर देखता है की ऑटो भी खड़े थे और लो ये क्या बस भी आ गई? उसी तिराहे पर कई सारी दुकाने थी जैसे फलों की, समोसे की और हाँ वही पास में ही एक हलवाई गर्म-गर्म गुजिया सेंक रहा था देखकर आलोक के मुँह में पानी आ गया, लेकिन हाँ एक दुकान उस पर सबसे फेमस थी घोड़ा चाय वाली! ये दुकान वास्तव में बहुत ही फेमस थी लोगों को वहाँ की चाय पीने के लिये लाइन में लगना पड़ता था और लोग चाय पीने के लिये लाइन में लगते भी थे! दुकान में बहुत भीड़ थी आलोक ने सोचा क्यों ना वो भी एक बार यहाँ की चाय का स्वाद लेकर ही

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