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सिंहासन मूक बना बैठा है - शुभम महेश द्वारा लिखी गई | Shubham Mahesh

28 मार्च 2019

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लगता है सिंहासन मूक बना बैठा है

पहले वो जिसको मौनी कहता था

अब वो खुद मौन बना बैठा है

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लगता है जनता अब तो कृद्ध दिखाई देती है

तुम्हारी इस चुप्पी में सवा अरब की चीख सुनाई देती है

लगता है जैसे तुम्हारी हार दिखाई देती है

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इस चुप्पी के ताले का हल क्या है

इन बेमानी वादों में बल क्या है

क्या ये इस सिंहासन का श्राप है

या फिर इसमें भी नेहरू जी का हाथ है

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लगता है सिंहासन गिरवी है जैसे कॉर्पोरेट की जुती में

या फिर लगता है जैसे तुम बंधी हो कॉर्पोरेट की संधि में

लगता है जैसे भूल हो गई

जनता की आँखों में जैसे धूल हो गई

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मैं तुमको कहे देता हूं

रैली में ना जाकर कर तुम भाषण बोलों

जनता में जाकर अब तो तुम कुछ बोलों

ऐसा जनादेश बार-बार नहीं आता

कोई लाल क़िला भी बार-बार नहीं जाता।

~ शुभम महेश ~

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अपने बारे अब क्या लिखे। अपने बारे मे लिखना बड़ा ही मुश्किल काम है| मेरा परिचय एक इंटरप्रेन्योर और शायर या यूँ कहे की लेखक के रूप में दे सकता हूं। मेरा दूसरा परिचय आप इस ब्लाग से ही बना सकते है ये ब्लॉग लिखना अभी अभी शुरू किया है तो मेरे कुछ मित्रो द्वारा मुझे ब्लागर पुकारा जाने लगा। इस ब्लाग ने मुझे अपनी भावनाओ को अपनी कविताओं के द्वारा वयक्त करने का मौक़ा दिया जो एक इंटरप्रेन्योर के रूप में ख़ाली रह जाते हैं । बस अभी के लिया इतना ही आगे अपने बारे में और कुछ लिख पाया तो जरूर लिखूंगा । आते रहियेगा। धन्यवाद। वेबसाइट : www.shubhammahesh.com

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