इस अफ़साने को लिखने की एक वजह यह भी रही कि मुझे स्माइलियों की भाषा बहुत रोचक जान पड़ी थी। मेरी एक चिंता यह भी थी कि इसके साथ हमारे शब्द, उनमें छुपे एहसास, एहसासों को ज़ाहिर करने के इंसानी तौर-तरीक़े, इंसान का अपना शब्दकोश, ये सब मर तो नहीं रहे हैं। मैं इसे दर्ज करने के बारे में सोचने लगा। तरीक़ा नहीं मिल रहा था। बस इसी क्रम में स्माइली वाली लड़की मिली, जिससे आप भी मिलेंगे, आगे के पन्नों पर।
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