Part:- 2
इसी बीच दूसरा विश्वयुद्द छिड़ गया।बोस जी को मानना था कि अंग्रेजों के दुश्मनों से मिलकर आजादी हासिल की जा सकती है।उनके इसी विचारो को देखते हुए ब्रिटिश सरकार ने उन्हें कोलकाता मे नजरबंद कर लिया लेकिन वह अपने भतीजे शिशिर कुमार बोस की मदद से वहाँ से भाग निकले वह अफगानिस्तान और सोवियतसंघ होते हुए जर्मनी पहुंचे।
इस राजनीती मे आने से पहले ही बोस जी ने सारी दुनिया का भ्रमण पहले ही कर लिया था।वह 1933 से 1936 तक यूरोप मे रहे।उस टाइम हिटलर जो जर्मनी का तानाशाह था,हिटलर और इंग्लैंड के बीच नहीं बनती थी और जर्मनी उनसे अपना कोई पुराना बदला भी लेना चाहता था।इसी न्यूज़ से बोस जी को हिटलर के रूप मे भविष्य का मित्र दिख गया।क्योंकि दुश्मन का दुश्मन दोस्त होता है।उनका मानना था की स्वतंत्रता हासिल करने के लिए राजनितिक गतिविधियों के साथ साथ कूटनीतिक और सैन्य सहयोग कि भी जरुरत पड़ती है।