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सुभाष चन्द्र बोस___पार्ट-3

1 नवम्बर 2021

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Part- 3 :- 

1937 मे बोस जी ने अपनी सेक्रेटरी और आस्टि्या कि लड़की से शादी करली जिनकी एक लड़की पैदा हुई जो अब भी जर्मनी मे ही रह रही है।
इसी बीच बोस जी हिटलर से मिले और देश की आजादी के लिए बहुत से महत्वपूर्ण काम किये और 1943 मे उन्होंने जर्मनी छोड़ा वहाँ से वो जापान गए और उसके बाद सिंगापुर।
जहाँ पर उन्होंने कप्तान मोहन सिंह द्वारा स्थापित आज़ाद हिंद फौज की कमान अपने हाथ मे ली। रासबिहारी बोस उस वक़्त आज़ाद हिंद फौज के नेता था।बोस जी ने ही आज़ाद हिंद फौज का पुनर्गठन किया और बाद मे रानी लक्ष्मी बाई रेजिमेंट का भी गठन इन्होनें ही किया जिसकी कप्तान बाद मे लक्ष्मी सेहगल को बनाया गया था।
21 अक्टूबर 1934 कि आज़ाद हिंद फौज की स्थापना के बाद ये 4 जुलाई 1944 को ये बर्मा पहुंचे।
यही पर इन्होनें अपना प्रसिद्ध नारा "तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूँगा" दिया था। और इसके बाद बहुत से ऐसे काम किए जो भारत को आजादी के बहुत निकट तक ले गए थे लेकिन दुर्भाग्यवश ये भारत की आजादी को होनी आँखों से नहीं देख पाये।

18 अगस्त 1945 को ये टोक्यो(जापान) जाते समय ताईवान के पास बोस जी का एक हवाई दुर्घटना में निधन हो गया। ऐसा जरूर बताया जाता है लेकिन इसकी पुष्टि अभी तक नहीं हो पाई है।बोस जी कि मौत के कारणों पर अभी भी विवाद बना हुआ है।
लेकिन बोस जी ने अपना जो त्याग और बलिदान देश के लिए किया उसे देश हमेशा याद रखेगा।वो असल मे एक नेता थे जो अपनी बातों से हिटलर जैसे क्रूर तानाशाह को भी अपने साथ मिला लिया।
ऐसा आज तक कोई दूसरा देशभक्त नहीं हुआ है जो देश के बाहर से देश की मदद किया हो और वो भी अपनी लग्जरी लाइफ छोड़कर क्योंकि उनके पास एक सिविल सर्विस जैसी बड़ी जॉब को छोड़कर उसी सरकार के विरुद्ध हो जाना एक बड़ी बात होती है।वो चाहते तो अपनी लाइफ आराम से जी रहे होते लेकिन उन्होंने एक बड़ा काम किया है जिसे हम हमेशा याद रखेंगे। युग युगान्तर के लिए वो अमर हो गए है।
नेता जी सलाम है आपको।आप रियल मे एक देशभक्त थे।

त्रिभुवन गौतम s\o शिव लाल
शेखपुर रसूलपुर चायल कौशाम्बी उत्तर प्रदेश इंडिया
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रचनाएँ
सुभाष चंद्र बोस____
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Part:- 1 दोस्तों मैं एक साइंस का स्टूडेंट रहा हूँ।इसलिए मेरा ज्यादा झुकाव साइंस कि तरफ ही है।फिर भी मैं हिस्टॉरिकल चीजों पर लिखना मुझे अच्छा लगता है और वो महत्वपूर्ण विचारऔर किये गए काम जो दूसरों से अलग करती हो। सुभाष चंद्र बोस एक बड़ा नाम देश की आजादी मे इन्होने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।इन्हें हम नेता जी के नाम से जानते है।और ये ऐसे नेता थे जिन्होंने वो बड़ा काम किया जो शायद गाँधी जी और बड़े नेता भी नहीं कर पाये इन्हें मैं हमेशा गाँधी जी से कम स्थान नहीं दूँगा और ये स्पेशल क्यों थे मैं बताता हूँ आपको...और एक जरुरी बात गांधीजी को सर्वप्रथम महात्मा इन्होनें ही कहा था। बोस जी का जन्म 23 जनवरी 1897 को उड़ीसा के कटक मे एक संपन्न बंगाली परिवार मे हुआ था।इनके पिताजी जानकीनाथ बोस पेशे से एक जानेमाने वकील थे।ये अपने 14 भाई-बहन मे 9वे नंबर पर थे।इनकी रूचि पढ़ने मे अच्छी थी तो इनकी प्रारम्भिक पढ़ाई भारत मे ही और उसके बाद (इंडियन सिविल सर्विस) भारतीय प्रशासनिक सेवा कि पढ़ाई के लिए इंग्लैंड भेजा।अंग्रेजी शासन मे भारतीयों को सिविल सर्विस मे जाना बहुत कठिन था फिर भी इनकी रूचि को देखते हुए इन्हें वहाँ भेजा गया और तब इन्होने अपने आपको साबित भी किया और 4थ इन्होने सिविल सर्विस के परीक्षा मे चौथा स्थान प्राप्त किया। 1921 में भारत मे बढ़ती राजनीतिक गतिविधियों को देखते हुए ये अपनी नौकरी छोड़कर भारत वापस आ गए और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के साथ जुड़ गए। कांग्रेस मे रहते हुए इनके विचार गाँधी जी से बिलकुल मेल नहीं खाते थे और गाँधी जी इनसे बिलकुल भी खुश नहीं थे एक बार इनके द्वारा कांग्रेस के ही एक सदस्य और गाँधी जी के प्रिय को इन्होने एक चुनाव मे भारी मतों से हरा दिया था तब से इनसे गाँधी जी हमेशा रुष्ठ रहते थे उनकी इस जीत को गाँधी जी ने अपनी हार माना जिसे देखते हुए इन्होने कांग्रेस पार्टी ही छोड़ दी। ये गाँधी जी को कभी अपने से अलग नहीं मानते थे चाहे इनके विचार गाँधी जी से मेल ना खाते रहे हो लेकिन इनके मकसद एक थे दोनों का ही मकसद भारत कि आजादी था।और ये बोस जी भली भांति जानते थे इनके विचार मेल ना खाने का एक रीज़न ये भी था कि गाँधी जी नरम चरमपंथी विचारधारा से थे और ये गरम चरमपंथी विचारधारा से नया खून और पुराने खून मे कुछ तो अंतर होना भी चाहिए। इसी बीच दूसरा विश्वयुद्द छिड़ गया।बोस जी को मानना था कि....

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