Part- 3 :-
1937 मे बोस जी ने अपनी सेक्रेटरी और आस्टि्या कि लड़की से शादी करली जिनकी एक लड़की पैदा हुई जो अब भी जर्मनी मे ही रह रही है।
इसी बीच बोस जी हिटलर से मिले और देश की आजादी के लिए बहुत से महत्वपूर्ण काम किये और 1943 मे उन्होंने जर्मनी छोड़ा वहाँ से वो जापान गए और उसके बाद सिंगापुर।
जहाँ पर उन्होंने कप्तान मोहन सिंह द्वारा स्थापित आज़ाद हिंद फौज की कमान अपने हाथ मे ली। रासबिहारी बोस उस वक़्त आज़ाद हिंद फौज के नेता था।बोस जी ने ही आज़ाद हिंद फौज का पुनर्गठन किया और बाद मे रानी लक्ष्मी बाई रेजिमेंट का भी गठन इन्होनें ही किया जिसकी कप्तान बाद मे लक्ष्मी सेहगल को बनाया गया था।
21 अक्टूबर 1934 कि आज़ाद हिंद फौज की स्थापना के बाद ये 4 जुलाई 1944 को ये बर्मा पहुंचे।
यही पर इन्होनें अपना प्रसिद्ध नारा "तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूँगा" दिया था। और इसके बाद बहुत से ऐसे काम किए जो भारत को आजादी के बहुत निकट तक ले गए थे लेकिन दुर्भाग्यवश ये भारत की आजादी को होनी आँखों से नहीं देख पाये।
18 अगस्त 1945 को ये टोक्यो(जापान) जाते समय ताईवान के पास बोस जी का एक हवाई दुर्घटना में निधन हो गया। ऐसा जरूर बताया जाता है लेकिन इसकी पुष्टि अभी तक नहीं हो पाई है।बोस जी कि मौत के कारणों पर अभी भी विवाद बना हुआ है।
लेकिन बोस जी ने अपना जो त्याग और बलिदान देश के लिए किया उसे देश हमेशा याद रखेगा।वो असल मे एक नेता थे जो अपनी बातों से हिटलर जैसे क्रूर तानाशाह को भी अपने साथ मिला लिया।
ऐसा आज तक कोई दूसरा देशभक्त नहीं हुआ है जो देश के बाहर से देश की मदद किया हो और वो भी अपनी लग्जरी लाइफ छोड़कर क्योंकि उनके पास एक सिविल सर्विस जैसी बड़ी जॉब को छोड़कर उसी सरकार के विरुद्ध हो जाना एक बड़ी बात होती है।वो चाहते तो अपनी लाइफ आराम से जी रहे होते लेकिन उन्होंने एक बड़ा काम किया है जिसे हम हमेशा याद रखेंगे। युग युगान्तर के लिए वो अमर हो गए है।
नेता जी सलाम है आपको।आप रियल मे एक देशभक्त थे।
त्रिभुवन गौतम s\o शिव लाल
शेखपुर रसूलपुर चायल कौशाम्बी उत्तर प्रदेश इंडिया