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सुधा मूर्ति के बारे में

सुधा मूर्ति का जन्म सन् 1950 में उत्तरी कर्नाटक के शिग्गाँव में हुआ। उन्होंने कंप्यूटर साइंस में एम.टेक. किया और वर्तमान में इन्फोसिस फाउंडेशन की अध्यक्षा हैं। बहुमुखी प्रतिभा की धनी सुधा मूर्ति ने अंग्रेजी एवं कन्नड़ भाषा में उपन्यास, तकनीकी पुस्तकें, यात्रा-वृत्तांत, लघुकथाओं के अनेक संग्रह, अकाल्पनिक लेख एवं बच्चों हेतु चार पुस्तकें लिखीं। सुधा मूर्ति को साहित्य का ‘आर.के. नारायणन पुरस्कार’ और वर्ष 2006 में ‘पद्मश्री’ तथा कन्नड़ साहित्य में उत्कृष्ट योगदान हेतु वर्ष 2011 में कर्नाटक सरकार द्वारा ‘अट्टीमाबे पुरस्कार’ प्राप्त हुआ। अब तक भारतीय व विश्व की अनेक भाषाओं में लगभग दो सौ पुस्तकें प्रकाशित होकर बहुचर्चित-बहुप्रशंसित। सुधा मूर्ति ने कई किताबें लिखी और प्रकाशित की हैं जिनमें उपन्यास, नॉन-फिक्शन, यात्रा वृतांत, तकनीकी किताबें और संस्मरण शामिल हैं। उनकी पुस्तकों का सभी प्रमुख भारतीय भाषाओं में अनुवाद किया गया है। वह अंग्रेजी और कन्नड़ अखबारों के लिए एक स्तंभकार भी हैं। सुधा मूर्ति भारत की सबसे बड़ी ऑटो निर्माता टाटा इंजीनियरिंग और लोकोमोटिव कंपनी (टेल्को) में काम पर रखने वाली पहली महिला इंजीनियर बनीं। वह पुणे में एक विकास अभियंता के रूप में कंपनी में शामिल हुईं और फिर मुंबई और जमशेदपुर में भी काम किया। उसने कंपनी के अध्यक्ष को एक पोस्टकार्ड लिखा था जिसमें टेल्को में "केवल पुरुष" लिंग पूर्वाग्रह की शिकायत की गई थी। नतीजतन, उसे एक विशेष साक्षात्कार दिया गया और तुरंत काम पर रखा गया। सुधा मूर्ति ने पुणे में टेल्को में एक इंजीनियर के रूप में कार्यरत रहते हुए एन आर नारायण मूर्ति से शादी की। दंपति के दो बच्चे हैं। उनके भाई-बहनों में कैलटेक एस्ट्रोफिजिसिस्ट श्रीनिवास कुलकर्णी और जयश्री देशपांडे (गुरुराज देशपांडे की पत्नी) शामिल हैं, जिन्होंने एमआईटी में देशपांडे सेंट

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सुधा मूर्ति की पुस्तकें

सुधा मूर्ति की लोकप्रिय कहानियाँ

सुधा मूर्ति की लोकप्रिय कहानियाँ

परोपकारी, उद्यमी, कंप्यूटर वैज्ञानिक, इंजीनियर, टीचर—सिर पर ऐसे कई ताज सजाए सुधा मूर्ति इन सबसे कहीं अधिक एक असाधारण कहानीकार हैं। साहित्य के लिए ‘आर.के. नारायण अवार्ड’, ‘पद्मश्री’, कन्नड़ साहित्य में उत्कृष्टता के लिए कर्नाटक सरकार का ‘अत्तिमब्बे पु

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सुधा मूर्ति की लोकप्रिय कहानियाँ

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तीन हजार टाँके

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इस संग्रह की प्रत्येक सत्य कथा में मानव-प्रकृति के सुंदर एवं वीभत्स, दोनों रूपों को अनावृत्त किया गया है। ये कथाएँ सम्मानपूर्वक जिए गए जीवन को प्रतिबिंबित करती हैं। कई बार ये दिल को छू लेनेवाले किसी साधारण साहसिक कार्य का वर्णन करती हैं। अनेक कहानियो

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इस संग्रह की प्रत्येक सत्य कथा में मानव-प्रकृति के सुंदर एवं वीभत्स, दोनों रूपों को अनावृत्त किया गया है। ये कथाएँ सम्मानपूर्वक जिए गए जीवन को प्रतिबिंबित करती हैं। कई बार ये दिल को छू लेनेवाले किसी साधारण साहसिक कार्य का वर्णन करती हैं। अनेक कहानियो

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 अंडे से निकला आदमी

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इस घटना के बाद विनता ने अपने दूसरे अंडे का पूरा ध्यान रखा और पिछली भूल से सबक लेकर इस बार उसने अंडे को नहीं तोड़ा। महीने और साल बीत गए। अंत में, एक दिन अंडा अपने आप टूटा और शक्तिशाली पंखों तथा पक्षी जैसे चेहरे वाला एक व्यक्ति उससे बाहर निकला। उसने कह

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उलटा लटका राजा

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क्या आप जानते हैं कि एक समय था, जब भालू बोलते थे, चाँद हँसता था और शिशु मछली के पेट में पाए जाते थे? क्या आपने कभी हजार भुजाओं वाले व्यक्ति को देखा है? इस संग्रह की कहानियाँ भगवान् विष्णु के दो सबसे प्रसिद्ध अवतारों—राम और कृष्ण—तथा उनके वंश के इर्द-

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 पौराणिक ग्रंथों में नारी शक्ति की कहानियाँ

पौराणिक ग्रंथों में नारी शक्ति की कहानियाँ

क्या आप जानते थे कि असुरों को पराजित करने के लिए त्रिदेव सदैव देवियों की सहायता लेते थे? क्या आप जानते थे कि इस संसार का पहला क्लोन एक स्त्री ने बनाया था? भारतीय पौराणिक कथाओं में स्त्रियों की संख्या भले ही बहुत कम होगी, लेकिन प्राचीन ग्रंथों औ

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 पौराणिक ग्रंथों में नारी शक्ति की कहानियाँ

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 दादा-दादी की कहानियों का पिटारा

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हर दिन एक कहानी मुश्किलों के बिन जिंदगानी! यह वर्ष 2020 की बात है, जब बच्चे घरों में कैद होकर रह गए; क्योंकि नोवेल कोरोना वायरस भारत में आ धमका है। पूरे देश में लॉकडाउन घोषित हो चुका है, और इस बढ़ते संकट के बीच अज्जा और अज्जी अपने पोते-पोतियों और क

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 दादा-दादी की कहानियों का पिटारा

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सुधा मूर्ति के लेख

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