सुधीर प्रताप मिश्र
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धीर
sudhirpratapmishra
सखी! हरि हमको देखि लजाये। हरि नें जनम दियो मानुष को हम पशु बनि ही बिताये। सहज सुबेली धरनी हरि की हम अपनी ही बताये।।1।। नयन दिखाये सारे जग को काया करम कराये। माया रमन कराये हरपल जो छाया दिख जाये।।2।। आपा-धापी करमहिं व्यापी प्रीतम नेह गवाये। मोह किय
sudhirpratapmishra
सखी! हरि हमको देखि लजाये। हरि नें जनम दियो मानुष को हम पशु बनि ही बिताये। सहज सुबेली धरनी हरि की हम अपनी ही बताये।।1।। नयन दिखाये सारे जग को काया करम कराये। माया रमन कराये हरपल जो छाया दिख जाये।।2।। आपा-धापी करमहिं व्यापी प्रीतम नेह गवाये। मोह किय