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सुहानी यादव के बारे में

माँ पापा की लाड़ो रानी, नाम मेरा है सुहानी! सतरंगी सारे रास्ते, मंज़िल मेरी है अशमानी!

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सुहानी यादव की पुस्तकें

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"सुहानी दुनिया" में नन्हीं कवयित्री सुहानी यादव की कल्पनाओं और चाहतों को कहती उसकी सुहानी रचनाओं का संकलन है।

2 पाठक
8 रचनाएँ

निःशुल्क

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सुहानी यादव के लेख

मेरे पापा

19 जून 2016
4
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पापा सबसे अच्छे हैं   प्यारे प्यारे लगते हैं   दूर कहीं जब जाते हैं   मुझको गुड़िया लाते हैं  सैर मुझे करवाते हैं  अच्छी बातें सिखलाते हैं  जब मैं ज़िद कर जाती हूँ  रूठ कभी जब जाती हूँ  लेकर गोदी में मुझको  प्यार से वो समझाते हैं  होती है जब कठिन पढ़ाई| झट पट सरल बनाते हैं  अनसुलझी सी हर पहेली  चुटक

!!हाथी दादा!!

18 मई 2016
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हाथी दादा मुझे बताओ तुमने शैतानी की थी क्या सूँड़ बनी है कैसे बोलो अपनी नाक के राज़ तुम खोलो पंखे जैसे कान तुम्हारे इतने बड़े हुए हैं कैसे होमवर्क ना करने पर टीचर ने खींचे हों जैसे पूंछ तुम्हारी इतनी छोटी और तुम इतने मोटे से कुछ भी तला भुना बाहर का जंक फ़ूड खाते थे क्या हाथी दादा तुम्हीं बताओ तुमने शैता

मैं चिड़िया

10 मई 2016
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मुझको पंख लगा दो मम्माचिड़िया मुझे बना दो मम्माऊपर गगन में उड़ जाऊँगीसब की छत पर मंडराउंगीचीं चीं करके गाना गाऊँफुदक फुदक कर नाच दिखाऊँहरे पेड़ पर मैं बैठूँगीहाथ किसी के ना आऊँगीभूख लगे तब नीचे आऊँबड़े प्यार से तुम्हें बुलाऊँदाल चावल बना दो मम्मामुझे खाना खिला दो मम्मा

अच्छे बच्चे!

9 मई 2016
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जब भी किसी से मिलते हैं हँस कर नमस्ते कहते हैं!मिलता है आशीष बड़ों काजिससे हम खुश रहते हैं!बड़ों की बातें मानें जोअच्छे बच्चे वो होते हैं!

मेरी मम्मा!

8 मई 2016
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खेल खिलौने कविता कहानी, मेरी मम्मा सबसे सुहानी!

ऐसा क्यों ?

2 मई 2016
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सूरज चन्दा और ये तारेऊपर बसे हुए क्यों सारेहरी पत्तियाँ क्यों पीले फूललाल टमाटर क्यों सफ़ेद मूलबादल क्यों नहीं गिरते गगन सेक्यों बहती है नदिया मगन सेधरती है गोल अगर दिखाओइसका केंद्र हमें दिखलाओऐसा क्यों है ज़रा तुम सोचोमेरे सवालों के उत्तर खोजो

यंगेस्ट एचीवर अवार्ड 2015 - 2016

1 मई 2016
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दिनाँक 30/04/2016 को लखनऊ के ताज होटल में माननीय मुख्य मंत्री उत्तर प्रदेश श्री अखिलेश यादव व सांसद कन्नौज श्रीमती डिम्पल यादव के शुभ हाथों से कविता लेखन के लिए मिला एफ आई सी सी आई द्वारा यंगेस्ट एचीवर अवार्ड। 

पेड़ों में भी होती जान।

29 अप्रैल 2016
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पेड़ों में भी होती जानफिर भी काटें इनको इंसानबड़े फायदे इनसे तू मानमत काटो अब ओ नादानप्रदुषण से ये हमें बचातेवातावरण को स्वच्छ बनातेमीठे रसीले फल हम खातेफूलों से घर को महकातेधूप में इनके नीचे आ जाएँऔर अच्छी सी छाया पाएँआओ मिलकर पेड़ लगाएँधरती को खुशहाल बनाएँ

बाल कविता: संतुलितआहार

28 अप्रैल 2016
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सेब चीकू अंगूर संतरेये सब करते डॉक्टर की छुट्टीलौकी तरोई कद्दू पालकलो हो गयी बीमारी से कुट्टी दूध दही मट्ठा पनीरमजबूत होते दाँत और हड्डीखाओगे जो संतुलित आहारहोंगे तंदुरुस्त तन मन और बुद्धि

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