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तलाश

28 मई 2016

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article-imageकिसी की तलाश थी  शायद , पक्का इसलिये नही कह सकता क्युँकी आस पास मन बहलाने को बहुत कुछ

था | कुछ ऐसा चाहिये था जो सिर्फ़ मेरा हो  | मुझे बाँटना  बचपन से ही पसंद नहीं , पहले मन  नहीं  करता था और अब  आदत बन चुकी  है| अब तसल्ली तब तक नहीं होनी थी जब तक की कुछ ऐसा न मिल जाए जिसे बाँटना कानूनन अपराध हो |


समय का एकमात्र काम है बीतना जो कि वो मेरे केस में भी सुचारु रूप से कर रहा था | मैं भी समय से कम हू क्या , ऐसा बीता हूँ कि किसी को भनक तक नहीं लगने दी | कुछ अगर नहीं बदला तो वो थी मेरी तलाश |

कहते हैं आप कुछ भी कर लीजिए अगर माथे में नहीं लिखा है तो नहीं मिलेगा| पर मैं उन खुस्कीस्मत लोगों में  से हूँ जिन्हें समय से पहले वो मिल गया जिसे बाँटने का तो कोई सवाल ही पैदा नहीं होता | ऐसा क्या मिल गया वो भी नहीं बताऊँगा वरना मिलना और ना मिलना दोनों बराबर |


मेरी तलाश खतम हो चुकी है | अब कुछ और नहीं चाहिये | अब अगर कोई जान भी  मांग ले तो बत्तीसी दिखा  के देदूं | आप मेरी तलाश को किसी  भी "पाइंट आफ व्यू " से देख सकते हैं , पर अंत में आप पहुँचेंगे वही जहाँ मैं पहुँचना चाह रहा हूँ | यदि आप  जीवन में कुछ ऐसा न तलाश रहे हों जिसपे  सिर्फ़ आपका हक हो तो महज ज़िंदा हैं  आप | 

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