किसी की तलाश थी शायद , पक्का इसलिये नही कह सकता क्युँकी आस पास मन बहलाने को बहुत कुछ
था | कुछ ऐसा चाहिये था जो सिर्फ़ मेरा हो | मुझे बाँटना बचपन से ही पसंद नहीं , पहले मन नहीं करता था और अब आदत बन चुकी है| अब तसल्ली तब तक नहीं होनी थी जब तक की कुछ ऐसा न मिल जाए जिसे बाँटना कानूनन अपराध हो |
समय का एकमात्र काम है बीतना जो कि वो मेरे केस में भी सुचारु रूप से कर रहा था | मैं भी समय से कम हू क्या , ऐसा बीता हूँ कि किसी को भनक तक नहीं लगने दी | कुछ अगर नहीं बदला तो वो थी मेरी तलाश |
कहते हैं आप कुछ भी कर लीजिए अगर माथे में नहीं लिखा है तो नहीं मिलेगा| पर मैं उन खुस्कीस्मत लोगों में से हूँ जिन्हें समय से पहले वो मिल गया जिसे बाँटने का तो कोई सवाल ही पैदा नहीं होता | ऐसा क्या मिल गया वो भी नहीं बताऊँगा वरना मिलना और ना मिलना दोनों बराबर |
मेरी तलाश खतम हो चुकी है | अब कुछ और नहीं चाहिये | अब अगर कोई जान भी मांग ले तो बत्तीसी दिखा के देदूं | आप मेरी तलाश को किसी भी "पाइंट आफ व्यू " से देख सकते हैं , पर अंत में आप पहुँचेंगे वही जहाँ मैं पहुँचना चाह रहा हूँ | यदि आप जीवन में कुछ ऐसा न तलाश रहे हों जिसपे सिर्फ़ आपका हक हो तो महज ज़िंदा हैं आप |