नमस्कार : संदीप और सूरज दो फ्रेंड है। जिनकी उम्र 18 से 19 साल है। यह दोनों यूपी के एक शहर के एक गांव रहने वाले हैं। संदीप एक हैंडसम लड़का है। जो दसवीं में पढ़ता है। सूरज एक किसान का लड़का है। जो खेती किसानी का काम करता हैं।
यह कहानी की शुरुआत, सर्दियों से शुरू होती है।
दिवाली बीतने के बाद, जैसे सर्दियां शुरू होती है, तो खेती किसानी का काम जोरों शोरों से शुरू हो जाता है। खेतों में गेहूं बीज बोने जाने लगता है। सूरज भी अपने खेतों की जुताई करता है। और गेहूं होने के लिए अपने खेतों को तैयार करता है। उधर संदीप स्कूल से लौट कर, अपने दोस्त सूरज के पास आता है। और कहता है, क्या कर रहा है यार, तब सूरज जवाब देता, यार रवि का सीजन शुरू हो गया है। और गेहूं बोने की तैयारी कर रहा हूं। वैसे तुम बता तो यहां क्या करने आया।
संदीप, यार तेरे बगैर मेरा मन ही नहीं लगता।
सूरज मुस्कुराते हुए, चल कोई बात नहीं आ बैठ देख मौसम कितना सुहाना है।
तब दोनों दोस्त, खेत की मेड के पास बैठकर बातें करने लगते हैं, यार संदीप, तू तो हैंडसम है, तुझे तो कोई भी लड़की प्रपोज कर देगी, और मैं एक तो किसान हूं ऊपर से पढ़ा लिखा भी नहीं, मुझे कोई भी लड़की पसंद नहीं करती, यार तेरे तो मजे हैं,
तब संदीप हंसते हुए कहता है, यार तू भी ना ऐसी बात करता है, मैंने अभी तक किसी लड़की को और आंख उठाकर नहीं देखा, औरतों प्रपोज करने की बात करता है, दूसरा घर में मेरे पिताजी जान गए ना, तो डंडों से पिटाई करेंगे,
इसका मतलब तू भी अभी सिंगल है, सूरज कहता है।
हां यार सूरज,
दोनों बातें करते-करते, एक दूसरे को पर खूब हंसते है।
सूरज ने अपने के खेतों में गेहूं की बुवाई की, और अपने घर वापस लौट आएं।
और अगले दिन दोनों दोस्त, शाम के समय खेतों की ओर टहलने जा रहे थे, तब सूरज ने संदीप से पूछा, यार तेरी स्कूल में तो कोई गर्लफ्रेंड होगी, तब संदीप ने जवाब दिया।
गर्लफ्रेंड तो नहीं है, पर एक लड़की है जो मुझे पसंद है।
सूरज मुस्कुराते हुए, कौन है लड़की और क्या नाम है? उसका,
तब संदीप ने जवाब दिया, उसका नाम पूजा है, पर मैंने कभी उससे कोई बात नहीं की है। और उसने भी कभी कोई मुझसे बात नहीं करी।
सूरज, कमाल है, जब तूने बात ही नहीं की तुझे पसंद कैसे आ गई।
संदीप, यार वह इतनी सीधी और सुंदर है किसी भी लड़के से बात भी नहीं करती है। अच्छा तू बता तुझे कैसी लड़की चाहिए,
सूरज, मुझे तो कैसी भी लड़की चलेगी,
तब संदीप जवाब देता, यारअपने गांव में तो कितनी सारी लड़कियां हैं। तू उन पर लाइन क्यों नहीं लगाता,
सूरज, देख भाई अगर किसी ने देख लिया ना, तो लेने के देने पड़ जाएंगे।
संदीप, तू इतना डरता क्यों है, चल तेरी सेटिंग मै करवाता हूं, अपने गांव में जो कुएं के पास घर है, वहां पर एक लड़की रहती है। बहुत ही अच्छी लगती है।
सूरज, नहीं यार वह नहीं मानेगी, उसके साथ तो मेरी एक बार लड़ाई हो चुकी है,
संदीप, किस बात को लेकर,
सूरज, कुछ नहीं उसके खेत में एक बार, मेरे बैल घुस गए थे, तब उसने मुझे बहुत गालियां दी थी। तो मैंने उससे कहा था। अगली बार तेरा कोई काम लगेगा तब बताऊंगा।
संदीप, कोई बात नहीं, तू से माफी मांग ले,
सूरज, नहीं,
संदीप, चल कोई बात नहीं मैं उससे बात करूंगा।
अगले दिन सुबह, स्नान करने के बाद, सूरज अपने खेतों पर चला गया।
संदीप स्कूल चला गया। स्कूल के गेट पर पहुंचते ही, पूजा उसे दिखाई दे गई।
संदीप ने मन में सोचा, की मैं आज मैं कुछ बोलूंगा जरूर।
संदीप ने कहा, हाय पूजा
पूजा ने मुड़ कर पीछे देखा, तो संदीप उसकी ओर देख रहा था। पर उसने कोई उसे जवाब नहीं दिया।
वह अंदर क्लास में चली गई।
उधर संदीप मन में सोचने लगा, कि मैं इससे कैसे अपने मन की बात कहूं।
स्कूल की छुट्टी होने के समय सबसे पहले, संदीप ने अपना बैग उठाया और गेट पर आकर खड़ा हो गया। और पूजा के निकलने का इंतजार करने लगा।
पूजा गेट पर से होकर के आगे निकल गई और उसके और नहीं देखा।
संदीप उदास होकर घर वापस लौट आया। और अपने तो सूरज के घर जाकर बोला, चल यार खेतों की ओर चलते हैं।
तब सूरज ने जवाब दिया, क्या हुआ यार बड़ा दुखी लग रहा है।
संदीप ने कुछ जवाब नहीं दिया।
दोनों दोस्त खाना खाकर खेतों की ओर निकल गये।
अब सर्दी आपने चरम पर पहुंचने लगी थी। चारों ओर कोहरा और धुंध जाने लगे। ओस की बूंदे पत्तों से टप टप टपकने लगी। कब शाम हो जाती पता ही नहीं चलता था, उधर सूरज के खेत में भी अब हरियाली छाने लगी थी। हरियाली देख कर मन को बहुत सुकून मिलता था।।
एक दिन रविवार का दिन था। संदीप के स्कूल की छुट्टी थी। तो दोनों दोस्त खेतों की ओर दोपहर में निकल गए। तब दोनों ने देखा, की दो लड़कीयां सूरज के खेत में बथुआ चुन रहीं थी।
दोनों ने देखा तो, पास जाकर बोले, क्या कर रही हो,
एक लड़की ने जवाब दिया, दिखाई नहीं दे रहा बता भी नहीं, बथुआ बीन रही हूं।
दोनों दोस्त, दूर जाकर मेड पर बैठ गए।
कुछ देर बाद, उनमें से एक लड़की, दोनों के पास आकर बोली, आप लोगों का नाम क्या है?
तब संदीप ने जवाब दिया, आप मेरा नाम जानकर क्या करोगी,
लड़की ने जवाब दिया, कुछ नहीं बस ऐसे ही,
संदीप, कुछ नहीं का क्या मतलब,आपने अभी नाम पूछा, और फिर बता रही हो कुछ नहीं ऐसे ही,
तब लड़की ने जवाब दिया, कुछ नहीं किसी और कीसी दिन बताऊंगी।
सूरज बोला जाने दे ना यार,
संदीप ने कहा अच्छा ठीक है कोई बात नहीं, पर इतना बताओ तुम रहती कहां हो,
तो लड़की ने जवाब दिया, मैं पड़ोसी गांव किशनपुर में रहती हूं।
संदीप, और कब इधर आओगी,
वह बोली अगले संडे को।
इसी समय,