कब मिलेगी वो मंजिल, जिसकी है तलाश मुझे !
कब मिलेगा वो साहिल, जिसकी है तलाश मुझे!!
ऐसी जिन्दगी है मेरी, जिसे लिख दिया किसी ने,
पढने वाला कोई नहीं, जिसकी है तलाश मुझे!!
भले ही बिछायें हैं कांटे, जमाने ने हर कदम पर,
काॅंटो पे ढूढेंगे मंजिल, जिसकी है तलाश मुझे !!
सागर की लहरों में, कश्ती कोई चला नहीं सकता,
जो संभाल सके पतवार, उस की है तलाश मुझे!!
अंधेरी राहों में कोई रोशनी दिखाने वाला तो हो,
मिला नहीं वो दीया अभी जिसकी है तलाश मुझे!!