मैं फिक्र करूँ तेरी ये मेरा हक है
तू मेरी परवाह भी ना करे ये तेरा हक है!
मैं करूँ इंतेजार तेरा बस आठों पहर
चाहे हो दिन या हो रातों का कहर
मैं करूँ जिक्र तेरा मेरी हर बात में
तू मेरी बात ही ना करे ये तेरा हक है!
मेरे हर शब्द में बस हो तेरा ही एहसास
चाहे हो दूर तू या चाहे हो पास
मैं करूँ याद तुझे मेरी हर साँस में
तू मेरी राह भी ना तके ये तेरा हक है!
मेरे ख्वाबों में तू हर रोज ही तो आता है
तू प्यार है मेरा,मुझमें ही समाया है
मैं करूँ प्यार तुझे अपने दिल-ओ-जान से
तू मुझे चाहे या ना चाहे ये तेरा हक है!
मैंने जीवन का हर एक पल जा किया तेरे नाम
चाहे हो सुबह या फिर चाहे हो शाम
मैं इंतजार करूँ तेरा ये मेरा हक है
तू चाहे मुझे भूल भी जाए ये तेरा हक है!
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