हमारी अधूरी प्रेम कहानी भी कितनी अजीब थी
नही देखा कभी उसे लेकिन उसके करीब थी
नही छुआ उसे कभी अपने हाथों से एक बार भी
फिर भी उसके बदन की खुशबू साँसों में मेरी थी।
न मिली कभी आँखें मेरी उसकी आँखों से
न मिले ये हाथ मेरे उसके हाथों से
फिर भी मेरी हर साँस में कुछ इस कदर समाया है वो
जैसे उस बिन धड़कन मेरी भूली धड़कना थी।
न कभी उनसे कोई वादा किया
न मिलने का कभी इरादा किया
न माँगा कभी उनसे कुछ भी कभी
न दिया कुछ भी उनको कभी।
बस दिल दिया और रूह दी
बदले में उनसे न कोई उम्मीद की
जो जगह मुझे उसने दी अपनी जिंदगी में
बस वो जगह उम्र भर के लिए मेरी हो गई।
अलग से है तेरे मेरे रास्ते
न है वो कभी भी मेरे वास्ते
पहली बार चाँदनी सूरज की दीवानी हो गई
उम्र भर को अमर ये प्रेम कहानी हो गई।
हमारी अधूरी प्रेमकहानी भी कितनी अजीब थी।
नही देखा उसे कभी लेकिन उसके करीब थी।
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पूर्ण रूप से काल्पनिक रचना दिए हुए subject पर