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तेरा जाना

28 मई 2020

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।। कविता ।। ## तेरा जाना ##


अब न आओगे कभी तुम लौट करके फिर कभी ।

चाहने वाले तुम्हारे लौट कर अा जाएंगे ।।

याद तेरी तिफ्ल तेरी मौज तेरी तिस्नगी ।

भस्म कर तेरी चिता पर फूल यों बरसाएंगे ।।


चाह कर भी वक़्त गुजरा लौट न पाएगा फिर ।

अब तुम्हारी इस कमी को खाक क्या भर पाएंगे ।।

भूल भी जाएं कभी जो रात कातिल बीतती ।

पर तुम्हारी उस हंसी को भूल कैसे पाएंगे ।।


आज अरसे बाद रोया फूट कर मैं यूं "प्रणव" ।

जिस तरह दस साल पहले खो दिया था भ्रात यों ।। .

रजत और अंकुर तुम्हारी याद आएगी सदा ।

सदा सी देती रहेगी , ख़ामोश तेरी ये सदा ।।


निठुर से लेटे हो तुम पर कुछ नहीं हो बोलते ।

भूल क्या जाओगे अपने दोस्तों को इस तरह ।।

साथ जो देखे तुम्हारे ख्वाब वो दिनरात सब ।

अब बहुत ही मुश्किलें आएंगी उसके दरमियां ।।


देख पाओगे वहां से जिस वतन के राह हो ।

चल पड़े हो करके विस्मृत साथ अपने तात को ।।

गिर पड़ी है मां तुम्हारी उस पुराने वृक्ष सी ।

ज्यों की कोई नीड़ उजड़े बर्फ पड़ती रात को ।।


मां तुम्हारी अब कभी भी न उबर पाएगी यूं ।

हर सुबकती सांस होगी आस टूटी बात में ।।

सपने सारे भग्न होंगे , सांस गिरवी ईश की ।

उम्र सारी कम पड़ेगी , जिंदगी एक टीस सी ।।


डॉ.आलोक कुमार तिवारी(यायावर)

"कल्पद्रुम " सुल्तानपुर

aloktiwari980@gmail.com

9450047633

26/05/2020 ©®

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