बड़े प्यार से चिड़िया रानी
तिनका चुनचुन लाई।
बहुत सुंदर सा घोसला उसने
बिजली के मीटर पर बनाया।
फिर उसमें प्यार से अपने
अंडों को बिठाया।
आने वाली बच्चों के लिए बहुत सुंदर घोंसला उसने बनाया।
मगर एक दिन जब वह दाना लेने गई
तभी एक बिल्ली की नजर उसके घौसले पर पड़ीगयी।
बहुत ऊपर धमाचौकड़ी कर
उसने उस घौसले को नीचे गिराया।
जब तक सब लोग उसको भगाते
उसने चिड़िया के बच्चे को अपना भोजन बनाया।
शाम जब चिड़िया दाना लेकर आई। अपना उजड़ा घोंसला देख बहुत दुखी बहुत रोई।
2 दिन तक उसने भी कुछ ना खाया। और दुख में अपनी जान को
गंवाया।
इस तरह से एक प्यारा सा घोंसला आबाद होने से पहले ही उजड़ा घोंसला बन गया ।
जिसको देख हमारा मन बहुत दुख से भर गया।
चिड़िया को यह सीख नहीं थी कि वह अपना घोंसला किसी सुरक्षित जगह बनाएं ।
इसीलिए तो कभी पंखे पर,
कभी बिजली के मीटर कभी घर की टांड पर असुरक्षित जगह पर घोंसला बनाती है।
और इसी तरह उसका चमन उजड़ जाता है।
और जिसके घर में घोंसला बनाती है उसका मन भी दुख से भर जाता है
स्वरचित कविता 15 सितंबर 21