दोस्ती एक ऐसा निस्वार्थ रिश्ता है। जिसमें एक दूसरे से कुछ भी लेना नहीं होता है ।निस्वार्थ प्रेम होता है। और निस्वार्थ एक दूसरे की मदद की भावना होती है।
मैं बहुत लकी हूं कि मेरी बहुत अच्छी फ्रेंडस है। जो की बचपन से आज तक चली आ रही है। और हर सुख दुख में मेरा साथ देती है। हम हमेशा एक दूसरे के टच में रहते हैं ।जब भी मन किया फोन कर लिया। प्लान कुछ इस तरह से करते हैं कि मैं यहां से जयपुर जाऊं। और वह भी बाहर से उसी समय को ध्यान में रखकर अपना प्लान बनाकर वहां पहुंच जाए। और जो जयपुर में है वे सब मिलने आती हैं। कभी भी कोई परेशानी होती है तो हम एक दूसरे से मदद मांगते हैं ।तो वह मदद भी करती हैं ।हमारी परेशानी के अंदर समाधान भी निकालती हैं। उनकी परेशानी में हम समाधान निकालते हैं। एक डेढ़ साल पहले मैंने मेरी बहुत सारी फ्रेंड्स को जो बहुत सालों से मिल नहीं रही थी। ढूंढ कर के 40 साल बाद सब को एक जगह करा और व्हाट्सएप का बेस्ट फ्रेंड्स ग्रुप बनाया है। अब हम सब क्लासमेट फ्रेंड्स एक दूसरे से अच्छे संपर्क में रहते हैं ।और बहुत अच्छा लगता है ।और सब लोग मुझको बहुत मानते हैं ।और मेरा बचपन का ग्रुप जिसमें हम छे फ्रेंड्स थे ।हमेशा साथ रहते थे। उसमें से चार जने तो हम अभी हमेशा साथ में रहता है ।जैसा कि मैंने ऊपर लिखा एक दूसरे से मिलते जुलते रहते हैं। एक दूसरे की मदद करते हैं। दो फ्रेंड्स मिल नहीं रही उनकी तलाश जारी है। यह तो हुई बाहर के दोस्तों की बातें। घर में मेरे पति मेरे बच्चे मेरे बहुत अच्छे दोस्त हैं। हर तरह से मेरी मदद भी करते हैं ।और मदद लेते भी हैं ।और ध्यान भी रखते हैं ।इसी तरह मेरी सभी सिस्टर इन लॉज भी मेरी बहुत अच्छी दोस्त है। दोस्ती का रिश्ता बहुत ही अहम होता है। नाजुक भी होता है ।इसलिए बहुत संभाल के रखना पड़ता है ।और मैं लकी हूं कि आज 50 साल बाद भी मेरी खास दोस्त मेरे साथ है। और हमारी आज भी दोस्ती इतनी गहरी है जितनी इस समय हुई थी जब थी। मुझे मेरे दोस्तों और उनकी दोस्ती पर नाज है।
1975 में जून में मेरी शादी थी। मेरी शादी बहुत जल्दी में तय हुई थी 15 दिन में ।
इतना समय नहीं था की सबसे अलग अलग संपर्क किया जाए। उस जमाने में तो मोबाइल फोन वगैरह भी नहीं होते मेरे घर में भी फोन नहीं होते थे। मैंने मेरी एक फ्रेंड को बोला कि तू अपनी क्लास की सभी दोस्तों को बता देना, कि मेरी शादी है। और सबको इनवाइट कर देना उसने मेरी सभी दोस्तों को इनवाइट करा ।पूरी क्लास को ।
और आप मानेंगे पूरी क्लास की लड़कियां ।उस समय हमारी क्लास में 30 लड़कियां थी? सब लोग शादी में आए थे। सबको बहुत ही अच्छा लगा ।और मुझे भी बहुत अच्छा लगा कि मेरे सब फ्रेंड मेरी शादी अटेंड करने आए ।इससे बड़ा दोस्ती का क्या सबूत है पर्सनल आमंत्रण नहीं देने के बावजूद सब लोग मेरी खुशी में शामिल होने आए।
इतना ही नहीं उस समय तो टेलर वगैरह कम होते थे। तो और इतनी जल्दी में था तो मेरी कुछ फ्रेंड तो मेरे कपड़े साड़ियां वगैरह जाकर के फॉल वॉल अपने हाथ से लगाना, दूसरे काम में मदद करना, सब कर रहे थे ।और पता ही नहीं लगा 15 दिन के अंदर सब कुछ हो गया। सबको अभी मैंने वापस एक जगह इकट्ठा कर लिया है व्हाट्सएप ग्रुप पर इसीलिए कहते हैं प्यारी दोस्ती से ज्यादा कुछ नहीं।
स्वरचित सत्य4/4/20