जब किसी का बहुत अरमानों से बनाया हुआ घर शहर दहशतगर्दी के कारण छोड़ना पड़ता है जिस तरह अभी अफगान के अंदर हो रहा है तालिबान के कारण उसी तरह अपने देश में भी कश्मीरी पंडितों के साथ बहुत ही बुरा हुआ था उन्हीं की है तो यह उनका उजड़ा घोंसला ही कहलाएगा।
सच्ची कहानी , एकदम सच है। उनकी कहानी मेरी जुबानीः श्रीनगर में हमारा एकदम नया बना हुआ तीन माला मकान था। सभी तरह से सजाया पूरे घर में कालीन बिछाए इतना सुंदर मकान था। अभी तो बनकर तैयार हुआ। हम लोगों ने पूरा देखा भी नहीं था। जाकर रहने लगे, पूरा आनंद भी नहीं लिया, कि हमारे मोहल्ले के उग्रवादी मुसलमान लोग जो कभी हमारे मित्र हुआ करते थे।
घर आकर के मेरे ससुर साहब को धमकी देकर चले गए कि या तो आज रात में यह जगह छोड़ दो नहीं तो तुम लोगों को आज रात में मार देंगे । और तुम्हारी औरतों को ले जाएंगे। सब जने बहुत बुरी तरह से डर गए, कैसे भी करके ससुर साहब ने बोला तुम सब डरो मत। मैं तुमको कुछ नहीं होने दूंगा ।बस तुम अपना कीमती सामान अपने सारे पेपर, डिग्री, और कुछ कपड़े किसी सूटकेस या छोटी बैग बना लो। और सब अपने पास रखना ।जैसे ही कुछ इंतजाम होता है, या मेरे को खतरा लगता है।
तो मैं तुमको निकाल लूंगा ,
और उन्होंने हमें एक सामान लेकर के ट्रक जम्मू जा रहा था, उस ट्रक में पीछे हम सब औरतों को और बच्चों को और खुद भी मतलब पूरा परिवार सामान के साथ ट्रक ने पीछे छुपा दिया ।
और राम राम करते शिव शिव करते किसी तरह से रात को हम जम्मू पहुंच गए। और वहां पहुंचकर के उतर के हमारा पहले से जगह ली हुई थी, वहां एक कमरा बना हुआ था, उस कमरे में हम लोगों ने शरण ली ।
भूखे प्यासे चार-पांच दिन तक जब तक सरकार की तरफ से पूरे साधन खाना-वाना नहीं मिला और एश्योरेंस नहीं मिला तब तक बहुत मुश्किल से जिंदगी बिताई। और वह रात तो बहुत ही खौफ नाक थी। जब यह भी पता नहीं था कि हम जिंदा बचेंगे या नहीं। जो हम श्रीनगर के करोड़पति थे वे जम्मू के खकपति बन गए।
मगर समय ने और सरकार ने हम सब को नौकरियां दी और सब वापस ठीक हो गया ।मगर वह खौफनाक रात हम आज तक नहीं भूल पाए हैं ।उसके चिन्ह में आज भी हमको अपनी जिंदगी में दिखते हैं। जैसे ही कहीं कुछ प्रॉब्लम होता है, तो मन थोड़ा घबरा जाता है। मगर इस सब में सरकार ने भी हमारी बहुत मदद करी।
जो लोग वहां रह गए थे उन लोगों के वहां के उग्रवादियों ने टुकड़े कर दिए थे ।
हम तो पलट कर वापस श्रीनगर गए भी नहीं। पता नहीं वह सब मकान और हमारी संपत्ति किसके पास है । और अब हिम्मत भी नहीं होती है वहां जाने की खौफनाक रात हिंसा का मंजर इस जिंदगी में कभी भूल नहीं सकते हैं कश्मीरी पंडितों की यह व्यथा कश्मीर के इतिहास में एक काले कलंक के रूप में है।
स्वरचित सत्य घटना पर आधारित कहानी 15 सितंबर 21