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मेरी प्यारी डायरी बच्चे और बुड्ढे मां बाप

13 सितम्बर 2021

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कल सोने में देर हो गई तो सुबह आज 8:00 बजे उठे। तो सब काम धीरे-धीरे ही चले
रो जिंदा कामों से निपट कर थोड़ा गार्डन में लाल होते हुए टमाटर देखें ।
और थोड़ा वहां काम करा और खुश हो गए। खाने की तैयारी करी ,आज मैंने थोड़ी मिक्स आटे चावल और बेसन पुदीना मसाला डालकर मिक्स पपड़ी बनाई डॉक्टर साहब को सरप्राइज दिया। बहुत अच्छी बनी थी खाकर बहुत खुश हुए।
वो गार्डन में पेड़ लगाने का काम कर रहे थे। और मैंने रसोई में चुपचाप पपड़िया बनाई ।
जो मेरे प्लान में नहीं थी तो उनको अच्छा सरप्राइस मिल गया।
मैं बहुत दिनों से तुमसे बात कर रही थी कि मैं निधि से बात करी थी गंभीर विषय पर लिखने का।
उसी विषय पर आज मैं तुमसे थोड़ी गुफ्तगू करना चाहूंगी।
यह मेरे विचार है जरूरी नहीं है कि हर किसी के यही विचार हों।
प्रिय डायरी अगर मैं मेरे विचार  तुमसेसाझानहीं करूंगी तो किससे करूंगी ।मेरी कुमुद का मेरी खास दोस्त है फोन आया तब बहुत परेशान थी।
उसने बताया इतने साल से उसके मम्मी जयपुर में अकेली रहती हैं ।
और साल में दो दो महीने करके तीनो भाई बहन उनको संभालते हैं ।
अभी उनकी हालत बहुत खराब हो गई है ।मगर अब इन लोगों का भी जयपुर जाना मुश्किल होताहै  घर की परेशानियों के चलते। मम्मी जिद कर रहे हैं ,कि वे तो जयपुर ही रहेंगी।
कैसी मुश्किल है ना बच्चे जब मां-बाप का ध्यान रखना चाहते हैं तो मां-बाप अपनी जिद्द नहीं छोड़ते।
तब उसको मैंने समझाया की कोई भी तरह से उसका भाई मां को साथ जाए। क्योंकि 90 ,92 साल की उम्र में जबकि बच्चे भी बुढ़ापे की ओर कदम बढ़ा रहे हैं तो उनका का बार-बार जाना संभव नहीं  तो कुछ तो करना ही पड़ेगा।
इसी बात पर जब निधि का फोन आया तो काफी सीरियस चर्चा हुई ।
उसने बताया उसकी बहुत सारी फ्रेंड के साथ और खुद उसके साथ भी यह प्रॉब्लम चालू ही है ।
हम मां बाप को साथ रखना चाहते हैं। मगर  मां बाप साथ रहना नहीं चाहते। खुद जितनी भी परेशानी में पड़ जाए वे चाहते हैं कि बच्चे उनके पास चले जाओ। मगर यह है कैसे संभव है। आजकल हायर एजुकेशन लेने के बाद बच्चों की जॉब बाहर होती है।
तो दोनों नौकरी करते हैं जो अपनी नौकरी छोड़ कर कैसे आ सकते हैं।
हां अगर मां बाप को ड्यू रेस्पेक्ट देकर अगर मां-बाप को अपने साथ रखना चाहते हैं।
तो मां बाप को भी बच्चों के पास में जाना चाहिए। और उनके साथ में तालमेल बिठाकर रहना चाहिए।
ऐसा मेरा मानना है ।
अब यह स्थिति सभी लोगों के साथ आने वाली है हमारे साथ की आने वाली है, और बच्चों के साथ हैं। इसका हल क्या है।
कुछ बच्चे तो अपने मां बाप को रखना ही नहीं चाहते साथ में । उनकी तो बात ही अलग है
और जो रखना चाहते वहां मां-बाप रहना नहीं चाहते।
मुझे ऐसा लगता है कि हम अगर अपने कुछ नियम बना ले जैसे
1 बच्चों की  गृहस्थी में दखलअंदाजी हर बात में  टोका टोकी ना करें ।
2हमेशा अपनी ना चलाएं छोटे बच्चों के साथ  प्यार भरा व्यवहार रखें
3 जिस तरीके से भी मदद रूप हो सकते हैं उसे जिस तरह से मदद रूप होये
4 अपनी हेल्थ का ध्यान रखें समय-समय पर मेडिकल चेकअप कराते हुए ,
और अपने आप को इतना फिट रखें की  अपना हर काम कुछ कर सके ताकि किसी पर बोझ ना पड़े।
और अगर खुद ना कर सके तो हेल्पर है तो उसकी मदद ले।
उसके लिए बेटे बहू से या बेटी दामाद से हर समय आपके लिए खड़े पग रहे आपकी सेवा में लगे रहे ऐसी आशा ना रखें।
बच्चे के घर को भी अपना घर समझे। वहां मेहमान नहीं मेजबान बन कर रहे।
किसी दूसरे के सामने बच्चों की इंसल्ट ना करें।
सामने थोड़े फर्ज बच्चों के भी हैं।
अगर वो मां-बाप को साथ रखना चाहते हैं तो उनको आदर इज्जत और मान सम्मान देना।
उनके साथ में प्यार भरा व्यवहार रखें।
अपने व्यस्त समय में से थोड़ा समय आते जाते भी उनसे बात करेंगे तो उनको अच्छा लगेगा। सुबह-सुबह नमस्कार के साथ दिन की शुरुआत करें।
अपने मित्रों दोस्तों से परिवार रिश्तेदारों से उनको अच्छे से मिलाएं ,उनको इग्नोर ना करें।
अपने बच्चों को उनका आदर करना सिखाए ।
उनके साथ में अच्छे से पेश आना सिखाएं। सब खुद भी उनके साथ अच्छे से पेश आए यह कुछ बातें हैं। और भी बहुत सारी बातें हैं जो होनी चाहिए ,तभी दोनों एक दूसरे को समझ कर मां बाप और बच्चे साथ में रह सकते हैं ।
घर को मधुबन बनाएं ना कि कुरुक्षेत्र।
मैंने तो नियम बना रखा है प्रिय डायरी कि मैं कहीं भी जाती हूं।महीने महीने भी रहती हूं तो भी किसी के यहां भी उनकी गृहस्थी में कोई तरह का कोई अड़चन नहीं लगाती हूं।
जैसा चल रहा होता है वैसा ही चलाती हूं।  अगर कोई समस्या है और मेरे से कोई राय मांगता है तभी मैं राय देती हूं ।
कभी बीच में नहीं बोलती ।
अगर कुछ बात अच्छी नहीं लगती है तो उसको बाद में बातों बातों में शांति से समझा देतीहूं।
मेरा तो बच्चों के साथ में बहुत अच्छा रेपो रहता है ।
तुमको पता ही है ना डायरी आज इतना लिखने का भी इसलिए आया। बहुत लोगों ने अभी अभी में यह समस्या बताई है।
घर में परेशान रह लेंगे मगर अपने बच्चों के पास जाकर रहना पसंद नहीं करते ।
इसने मेरे को बहुत कुछ सोचने पर मजबूर कर और जो मेरे को लगा वह मैंने तुम्हारे साथ शेयर करा।
क्या कहती हो तुम सही है या गलत है ।मन के उद्गार तो तुम्हारे साथ शेयर करनी ही पड़ेगे ना। बहुत सारी सीरियस बातें हो गई ।
काम की बातें हो गई बस ,अब बहुत लेट हो गया है नहीं तो आज भी सोने में लेट हो जाऊंगी ।
तो कल वापस दिनचर्या वहीं हो जाएगी सब लेट लेट कल मुझे बहुत काम करने हैं जो पेंडिंग पड़े हैं।
क्योंकि इन दिनों पांव में बहुत दर्द था तो मैं नहीं कर पाई।
कल देखती हूं क्या होता है ठीक है फिर जब टाइम मिलेगा तब तुमसे बात करूंगी गुड नाइट शुभ रात्रि9.30  13/9/2021


Vimla Jain

Vimla Jain

Very nice

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